राहुल की कार्यसमिति में सिर्फ 7 महिलाएं, मुस्लिम नेताओं की भी कमी

नई दिल्ली
कांग्रेस की फैसले लेने वाली सबसे बड़ी बॉडी कार्यसमिति का गठन आखिरकार राहुल ने कर दिया. 18 जनवरी को तालकटोरा स्टेडियम में हुए महाधिवेशन में नए अध्यक्ष राहुल को नई कार्यसमिति के गठन का अधिकार दिया गया था. लेकिन राहुल को 6 महीने से ज़्यादा का वक्‍त लग गया इसके गठन में, आखिर युवा और वरिष्ठ नेताओं के बीच तालमेल जो बैठाना था.

कांग्रेस कार्यसमिति की 7 बड़ी बातें

  1. राहुल संसद में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण की मांग करते हैं. पीएम को खत लिखते हैं. लेकिन कार्यसमिति के सब मिलाकर 51 सदस्यों में केवल 7 महिलाओं को ही जगह दे पाए हैं. दिलचस्प है कि कार्यसमिति में सोनिया गांधी समेत अम्बिका सोनी और कुमारी शैलजा हैं. वहीं परमानेंट invitee में आशा कुमारी, रजनी पाटिल और शीला दीक्षित हैं. सातवां नाम महिला कांग्रेस अध्यक्ष सुष्मिता देव का है, जो लाजमी ही है. ऐसे में राहुल की अहम टीम में सिर्फ 12 फीसद के करीब ही महिलाएं हैं.
  2. पिछले लोकसभा चुनाव में हार के बाद हार के कारणों की जांच के लिए बनी एंटोनी कमेटी ने प्रो-मुस्लिम छवि को जिम्मेदार बताया था. राहुल ने अपनी नई कमेटी में इसके मद्देनजर कुल 4 मुस्लिम नेताओं को जगह दी है, जिसमें 3 अकेले कश्मीर से हैं. कश्मीर को छोड़ दें तो बाकी पूरे देश से सिर्फ एक अहमद पटेल की कार्यसमिति का हिस्सा हैं. वो अहमद पटेल जो सोनिया गांधी के राजनैतिक सलाहकार और भारी भरकम कद रखते हैं. इसके अलावा राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, तारिक हमीद कारा और बतौर एनएसयूआई अध्यक्ष फिरोज खान जैसे तीन नेता हैं जो कश्मीर से आते हैं. पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद और बिहार के बड़े नेता शकील अहमद तक अपनी जगह नहीं बना सके.
  3. सोनिया और राहुल का कार्यसमिति में होना तो लाजमी है, लेकिन एक और पिता पुत्र की जोड़ी को भी इसमें जगह मिली है. असम के पूर्व सीएम तरुण गोगोई और उनके सांसद बेटे गौरव गोगोई को कार्यसमिति में जगह मिली है. पिता सीनियर नेता हैं, तो उनके सांसद बेटे गौरव को बंगाल के प्रभारी के तौर पर परमानेंट invitee में जगह मिली है.
  4. वैसे हर मां बेटे या पिता पुत्र खुशनसीब नहीं हैं. दिल्ली की पूर्व सीएम शीला दीक्षित को तो जगह मिल गयी, लेकिन उनके सांसद रहे बेटे जगह बनाने में नाकामयाब रहे. वहीं, हरियाणा के हुड्डा परिवार की कहानी उलट है. पूर्व सीएम पिता भूपिंदर सिंह हुड्डा को जगह नहीं मिली, तो उनके सांसद बेटे दीपेंदर हुड्डा को जगह मिल गयी.
  5. इसके अलावा चर्चा इस बात की भी जोरों पर है कि कर्नाटक, यूपी, कश्मीर जैसे राज्यों से कई नेताओं को कार्यसमिति में जगह मिल गयी. लेकिन बिहार और बंगाल जैसे बड़े राज्य से किसी नेता को जगह नहीं मिल पाई.
  6. कार्यसमिति से जनार्दन द्विवेदी, दिग्विजय सिंह, मोहन प्रकाश, सीपी जोशी, बीके हरिप्रसाद सरीखे बड़े नेताओं की छुट्टी हो गयी.
  7. कार्यसमिति में तरुण गोगोई, सिद्धारमैया, ओम्मन चांडी, हरीश रावत जैसे बतौर सीएम सत्ता गंवाने वाले नेताओं को भी जगह दी गयी है. माना जा रहा है कि इन नेताओं को केंद्र की राजनीति में लाकर इनके राज्यों में नया नेतृत्व उभारने का भी संकेत दे दिया गया है.

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