दक्षिण कोरिया में दिमाग खाने वाले अमीबा भयंकर मामला

चीन में आक्रामक ओमिक्रॉन बीएफ.7 वैरिएंट से दुनिया दहशत में है। वहीं, दक्षिण कोरिया में दिमाग खाने वाले अमीबा (Brain-eating Amoeba Case) का केस मिलने से हड़कंप मच गया है। कोरिया डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन एजेंसी ने दिमाग खाने वाले अमीबा से हुई पहली मौत की पुष्टि कर दी है। इस मौत से साउथ कोरिया में हड़कंप मच गया है। बता दें कि इस अमीबा के कारण अधिकतर मरीज जान गंवा देते हैं।

दिमाग खाने वाला अमीबा क्या है? सीडीसी के मुताबिक, दिमाग खाने वाले अमीबा का नाम नाइग्रीलिया फॉलेरी है। जो कि पानी में मौजूद होता है। यह अमीबा नाक से घुसकर दिमाग में पहुंचता है और प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस नाम की बीमारी करता है।

अंदर से दिमाग खा जाता है अमीबा
नाइग्रीलिया फॉलेरी को दिमाग खाने वाला अमीबा कहा जाता है। क्योंकि, यह नाक से होते हुए दिमाग में पहुंचता है। वहां यह दिमाग के ब्रेन टिश्यू को नष्ट करने लगता है। ब्रेन टिश्यू नष्ट होने से दिमाग में सूजन आ जाती है और मरीज की मौत हो जाती है।

ऐसे पानी में होता है जानलेवा अमीबा
सीडीसी कहता है कि दिमाग खाने वाला यह जानलेवा अमीबा को गर्म तापमान काफी पसंद आता है। यह कीटाणु झील, नदियों के गुनगुने पानी, गर्म पानी के तालाब, स्विमिंग पूल, नल के पानी, पानी के हीटर और झील-तालाब के तले की मिट्टी में हो सकता है।

दिमाग खाने वाले अमीबा के 10 लक्षण
सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन के मुताबिक, नाइग्रीलिया फॉलेरी अमीबा  से संक्रमित होने के 1 दिन से लेकर 12 दिन के बीच लक्षण दिखने शुरू हो सकते हैं। जैसे-

सिरदर्द
बुखार
जी मिचलाना
उल्टी
गर्दन में अकड़न
कंफ्यूजन
फोकस ना कर पाना
मिर्गी के दौरे
भ्रम में रहना
कोमा, आदि

लक्षण दिखने के 5 दिन बाद हो जाती है मौत
सीडीसी बताता है कि दिमाग खाने वाला अमीबा बहुत ज्यादा घातक है और अधिकतर मामलों में जान लेता है। यह संक्रमण काफी तेजी से दिमाग को खोखला बना देता है और लक्षण दिखने के 5 दिन के भीतर मरीज की जान चली जाती है। लेकिन, यह पहले दिन से लेकर 18 दिन के बीच कभी भी मौत का कारण बन सकता है।

इंसानों से फैलता है ये अमीबा?
अच्छी खबर यह है कि यह अमीबा संक्रमित मरीज से नहीं फैलता है। इसके फैलने का एकमात्र तरीका संक्रमित पानी के संपर्क में आना है। इसलिए अगर आप किसी सार्वजनिक जगह पर गुनगुने पानी के संपर्क आए हैं और बुखार-सिरदर्द जैसे लक्षण दिखें, तो डॉक्टर से संपर्क करें।

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