सेक्शुअल प्रेफरेंस निजी पसंद का मामला: रवि शंकर प्रसाद

नई दिल्ली 
आईपीसी की धारा 377 का मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में है। उच्चतम न्यायालय ने इसके प्रावधानों को अपराध की श्रेणी से बाहर किए जाने से जुड़ी याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रखा है। इसी बीच केंद्र सरकार ने पहली बार इस मामले पर आधिकारिक तौर पर अपना रुख साफ किया है। केंद्रीय कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा है कि समलैंगिक संबंध बनाना किसी की निजी सोच या पसंद हो सकती है। सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए एक इंटरव्यू में प्रसाद ने कहा, 'विभिन्न समाजों में बदलाव हो रहा है, धारा 377 पर सरकार का रुख भी उसी को दिखाता है। ऐसा माना जाता है कि यौन वरीयता किसी की निजी पसंद हो सकती है, तो इसे अपराध की श्रेणी से बाहर क्यों न कर दिया जाए? यह पूरी तरह से मानवीय पंसद का मामला है। यह भारत में रह रहे लोगों के विचारों में आ रहे बदलाव को दिखाता है।' 

बता दें कि इससे पहले तक केंद्र सरकार ने यह फैसला पूरी तरह से सुप्रीम कोर्ट पर छोड़ दिया था कि समलैंगिकता को अपराध के दायरे से बाहर किया जाए या नहीं। मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र ने धारा 377 पर कोई स्टैंड नहीं लिया था और कहा था कि कोर्ट ही तय करे कि 377 के तहत सहमति से बालिगों का समलैंगिक संबंध बनाना अपराध है या नहीं। अडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सरकार की ओर से कहा था कि हम 377 के वैधता के मामले को सुप्रीम कोर्ट पर छोड़ते हैं, लेकिन अगर सुनवाई का दायरा बढ़ता है, तो सरकार हलफनामा देगी। 

बातचीत में प्रसाद से देश के विभिन्न हिस्सों में हो रही लिंचिंग की घटनाओं पर भी सवाल किया गया था। उसपर उन्होंने कहा, 'हम भीड़ द्वारा हो रही हिंसक घटनाओं के खिलाफ हैं, हम सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए सुझावों पर विचार कर रहे हैं। संविधान में ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए कुछ प्रावधान हैं, उनका इस्तेमाल जरूर होना चाहिए।' इसके साथ ही ट्रिपल तलाक के मुद्दे पर कांग्रेस को घेरते हुए प्रसाद ने कहा कि क्या कांग्रेस सिर्फ मुस्लिम पुरुषों की पार्टी है? अगर वे प्रो मुस्लिम हैं तो उन्हें मुस्लिम महिलाओं की चिंता क्यों नहीं है? प्रसाद ने कहा कि मॉडर्न इंडिया और महिलाओं के खिलाफ मध्यकालीन सोच एकसाथ नहीं चल सकती। 
 

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