5G टावर लगवाने के लिए आपको कई नियमों का करना पड़ता है पालन

नई दिल्ली

भारत में 5G नेटवर्क सेटअप करने का काम तेज हो गया है। जियो और एयरटेल दोनों कंपनियां नए 5G टावर लगा रही है। वैसे तो एयरटेल पुराने 4G टावर को 5G के लिए सेटअप कर रही है। लेकिन जियो की तरफ से नए 5G टावर लगाए जा रहे है। हालांकि सरकार की ओर से नए 5G टावर लगाने को लेकर एक सूचना जारी की गई है। जिससे 5G टावर को लेकर किसी तरह की समस्या का सामना न करना पड़े।

5G टावर लगाने को लेकर गाइडलाइन जारी
डीजीसीए की ओर से 5G टावर को लेकर एयर ट्रैवल रिस्क का रिव्यू किया गया। इसे लेकर सेफ्टी और बफर जोन सेटअप करने करना सुझाव दिया गया है। केंद्र सरकार ने कहा कि विमान संचालन में 5G सर्विस से होने वाली बाधा को कम करने के लिए एयरपोर्ट के आसपास कम संख्या में 5G टावर लगाने की बात कही गई है। इसे लेकर टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर को सुझाव जारी किया गया है।

5G टावर से पैदा होने वाले खतरे पर हुई रिसर्च
हालांकि डीजीसीए ने कहा कि उसकी तरह से कई देशों की रिसर्च रिपोर्ट का अध्ययन किया गया है। जिसमें 5G लॉन्च के बाद एयरक्रॉफ्ट के रेडियो सिग्नल 5G C-बैंड से होने वाली बाधा के संभावित खतरों के बारे में रिपोर्ट दी गई थी।

क्या होते हैं C-बैंड्स?
5G C-बैंड फ्रिक्वेंसी का इस्तेमाल एयर प्लेन और एयरक्रॉफ्ट को सिंगल देने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। सी-बैंड 3.7GHz और 4.2GHz रेडियो फ्रिक्वेंसी के बीच काम करते हैं। इसी फ्रिक्वेंसी पर का यूज प्लेन और जमीन के बीच की डिस्टेंस मापने और कम्यूनिकेशन के लिए किया जाता है। इसी फ्रिक्वेंसी से 5G नेटवर्क में बाधा पहुंचने की बात कही जा रही है।

5G टावर लगवाने के दौरान बरतें सावधानी
अगर आप 5G टावर लगवाने जा रहे हैं, तो ध्यान दें कि आपकी लोकेशन एयरपोर्ट से दूर हो।
जिस जमीन पर टावर लगवाया जा रहा हैं, उस जमीन के दस्तावेज आपके पास होने चाहिए।
5G टावर को घनी आबादी से दूर लगवाना चाहिए।

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