हम जीतने जा रहे हैं कर्नाटक चुनाव, पूर्ण बहुमत से सरकार बनाएंगे- अमित शाह

 बेंगलुरू    

कर्नाटक विधानसभा चुनावों को लेकर राज्य की सभी सियासी पार्टियों ने अपनी कमर कस ली है। कोई भी सियासी दल इस चुनाव में अपनी तरफ से कोई चूक नहीं चाहता है। इस बार सूबे की प्रमुख पार्टियां बीजेपी, कांग्रेस और जेडीएस के अलावा यहां एनसीपी भी चुनावी मैदान में ताल ठोंकेगी। पार्टियों के स्टार कैंपेनर्स की लिस्ट जारी हो चुकी है और राज्य में बैठकों का दौर शुरू हो चुका है। ऐसे में भला सत्ताधारी पार्टी बीजेपी कहां पीछे रहने वाली। शुक्रवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कर्नाटक चुनावों को लेकर एक बैठक की।   

 इस दौरान उन्होंने कर्नाटक में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर कहा कि हम पूर्ण बहुमत से चुनाव जीतने जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि कर्नाटक में कांग्रेस सरकार ने गैर संवैधानिक तरीके से 4 फीसदी मुस्लिम आरक्षण करके रखा था. ये गैर संवैधानिक इसलिए था, क्योंकि हमारा संविधान धर्म के आधार पर आरक्षण की अनुमति नहीं देता है. लेकिन कर्नाटक में ऐसा किया गया था, लेकिन कर्नाटक में बीजेपी सरकार ने एससी, एसटी, बोकलिगा और लिंगायत इन चारों बड़े समुदाय के आरक्षण को बढ़ाया है. मतलब साफ है कि पहले राजनीतिक फायदा लेने का काम किया जा रहा था, जिसे हमने समाप्त किया है. हमने पात्र लोगों को उनका अधिकार दिया है.

बीजेपी, कांग्रेस, जेडीएस के अलावा NCP भी मैदान में   

इस बार सूबे की प्रमुख पार्टियां बीजेपी, कांग्रेस और जेडीएस के अलावा यहां एनसीपी भी चुनावी मैदान में ताल ठोंकेगी। पार्टियों के स्टार कैंपेनर्स की लिस्ट जारी हो चुकी है। NCP ने शुक्रवार को 9 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी की।
कर्नाटक में आरोप प्रत्यारोप का दौर

कर्नाटक में चुनावी जंग तेज हो गई है, सियासी पार्टियों ने वोटरों को लुभाने के लिए तरह-तरह के वादे किए हैं तो पार्टियों का एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरु हो गया है।  इसी कड़ी में कर्नाटक के CM Basavaraj Bommai ने कांग्रेस पर 'फूट डालो और राज करो' नीति पर काम करने के आरोप लगाए हैं।

मुख्यमंत्री बोम्मई ने कहा कि लिंगायतों और वीरशैवों के लिए Congress 'फूट डालो और राज करो' की नीति अपना रही है। बसवराज बोम्मई ने दावा किया कि कर्नाटक में लिंगायत मतदाता 'सतर्क' हैं और जरूरत पड़ने पर हमेशा सही फैसला लेते हैं।

मुख्यमंत्री बोम्मई ने मंगलवार को कहा कि "कर्नाटक में लिंगायत मतदाता सतर्क हैं और आवश्यकता पड़ने पर उन्होंने हमेशा सही निर्णय लिया है। कांग्रेस पार्टी ने विधानसभा चुनावों की घोषणा के बाद उनके (लिंगायत) लिए विशेष प्रेम दिखाया है, लेकिन यह वही पार्टी है, जिसने लिंगायत और वीरशैवों को विभाजित करने की कोशिश की। लोग कांग्रेस पार्टी की फूट डालो और राज करो की नीति को नहीं भूले हैं।"

 

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