इस शख्स की याचिका तय करेगी मुजफ्फरपुर मामले में अगला मोड़

मुजफ्फरपुर
‘आप बच्चों के लिए जेजेबी (Juvenile Justice Act) एक्ट बनाते हैं. 300 पन्नों की गाइडलाइन है जिसमें सिर्फ बच्चों के लिए नमक से लेकर हल्दी तक, बेड कितना लंबा होगा, बिस्तर कितना होगा, तकिया कितना होगा, क्या खाएंगे, कितना खाएंगे, कब उनको काउंसिलिंग के लिए जाएंगे, तमाम तरह की गाइडलाइन होती है. किसी का पालन नहीं हो रहा है और बच्चियों के साथ ऐसा कृत्य हो रहा है, यह कैसे संभव है.’

यह सवाल उठा रहे हैं बिहार के सामाजिक कार्यकर्ता संतोष कुमार, जिन्होंने मुजफ्फरपुर मामले की सीबीआई जांच के लिए हाइकोर्ट में याचिका दायर की थी. उनके अलावा नवनीत कुमार ने भी यही मांग उठाते हुए याचिका दायर की थी. इन दोनों की याचिका पर सुनवाई करते हुए ही कोर्ट ने कहा था कि मुजफ्फरपुर का मामला बिहार सरकार के लिए शर्मिंदगी की बात है और राज्य सरकार को सीबीआई जांच करवानी चाहिए.

मुजफ्फरपुर समेत बिहार के तमाम जरूरतमंदों के लिए बनाए गए आवास और अल्पावास गृह के हालात पर से पर्दा उठाने के लिए संतोष मुखर होकर बात कर हैं. वह मानते हैं कि टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज की रिपोर्ट कुछ घंटों के लिए बिहार के तमाम चिल्ड्रन होम में जाते हैं, उनको सब कुछ पता चल जाता है, कुछ घंटों के लिए और उसी बालिका गृह में चार पदाधिकारियों की लंबी फेहरिस्त है. असिस्टेंट डायरेक्टर सोशल सेक्योरिटी, असिस्टेंट डायरेक्टर चाइल्ड प्रोटेक्शन, चाइल्ड प्रोटेक्शन ऑफिसर, प्रोबेशन ऑफिसर, इन सबको कुछ नहीं मालूम, चलता यह कैसे संभव है.  संतोष समझाते हैं कि किस तरह बालिका गृह की बच्चियों को कहने के लिए तीन तरफा सुरक्षा मिलती है.

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