उपसभापति: राहुल की रणनीति पर उठ रहे सवाल

नई दिल्ली 
राज्यसभा उपसभापति के चुनावों के बाद अधिकतर विपक्षी दलों को लगता है कि अगर कांग्रेस अपना कैंडिडेट देने की बजाय उनकी पार्टी से चेहरा आगे करती तो ज्यादा वोट मिलते। हालांकि उपसभापति + पद पर एनडीए कैंडिडेट हरिवंश की जीत के बावजूद विपक्षी दलों का कहना है कि बीजेपी के खिलाफ उनकी एकजुटता के प्रयासों के लिए यह झटके जैसा कतई नहीं है। हालांकि विपक्ष एक बहादुर चेहरा दिखाने की कोशिश कर रहा है लेकिन इस चुनाव के बाद संसद के गलियारों में सुगबुगाहटें भी शुरू हो गईं हैं।  

विपक्ष के कुछ नेता इस बात को लेकर सवाल उठा रहे हैं कि बिहार सीएम नीतीश कुमार ने जिस तरह बीजेडी और टीआरएस से संपर्क साधा, उस तरह राहुल गांधी ने भी अपने कैंडिडेट के लिए AAP जैसी पार्टियों से संपर्क क्यों नहीं किया। इसके अलावा कुछ नेताओं का यह भी मानना है कि विपक्ष + के कैंडिडेट के रूप में कांग्रेस का चेहरा होने से ऐसे दलों के वोट मिलने के चांस कम हुए जो किसी खेमे (बीजेपी या कांग्रेस) के साथ नहीं दिखना चाहते। 

टीएमसी नेता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि हम बीजेपी और एनडीए के खिलाफ अब भी एकजुट हैं। उन्होंने कहा, 'आज का परिणाम सरकार की बेचैनी को दिखाता है। एनडीए कैंडिडेट को वोट दिलाने के लिए पीएम को खुद फोन करना पड़ा। निश्चित तौर पर यह चुनाव हमारे लिए दुनिया का अंत होना नहीं है। ये केवल वर्ल्डकप से पहले के वार्मअप मैच हैं।' 

आपको बता दें कि एनडीए कैंडिडेट हरिवंश सिंह को 125 वोट मिले थे जबकि विपक्ष के कैंडिटेड बीके हरिप्रसाद को 105 सदस्यों ने वोट किया। विपक्ष के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि अगर कांग्रेस ने किसी गैर कांग्रेसी या टीडीपी या किसी अन्य विपक्षी दल के नेता को कैंडिडेट बनाया होता तो ज्यादा वोट मिल सकते थे। विपक्ष को उम्मीद थी कि कांग्रेस इस चुनाव के लिए किसी गैर कांग्रेसी सांसद के नाम को आगे करेगी जो कि नहीं हुआ। 

गैर कांग्रेसी पार्टियों के नेताओं का कहना था कि अगर राहुल गांधी फोन कर देते तो AAP के वोट भी मिल जाते। आप नेता संजय सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार ने एनडीए के कैंडिडेट के लिए केजरीवाल को फोन किया लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया। संजय सिंह ने सवाल किया कि अगर नीतीश फोन कर सकते थे तो राहुल गांधी क्यों नहीं। 

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