अमरीका-चीन की ट्रेड वॉर के चलते भारत को मिल सकता है सस्ता तेल

चीन और अमरीका के बीच छिड़ी ट्रेड वॉर आने वाले दिनों में और तेज होने की आशंका है। दुनिया के आर्थिक पावर हाऊस कहे जाने वाले दोनों देश गत कई महीनों से जैसे को तैसा की नीति पर काम कर रहे हैं। एशिया में चीन अमरीकी क्रूड और गैस का सबसे बड़ा खरीदार है लेकिन ट्रेड वॉर छिड़ने के बाद से चीन के सबसे बड़े ट्रेडिंग हाऊस ने अमरीकी कच्चे तेल और गैस की खरीद बंद कर दी है। इसके अलावा चीन की ओर से अमरीकी क्रूड और एल.एन.जी. पर जवाबी टैरिफ  लगाने की भी तैयारी है।

चीन यदि इस तरह से अमरीकी कच्चे तेल का बायकॉट करता है तो इसका मतलब है कि ईरान क्रूड मार्कीट का अहम प्लेयर बना रहेगा। जिस पर अमरीका ने कई तरह के प्रतिबंध लगाए हैं। हालांकि चीन और अमरीका के बीच कारोबारी तनाव के चलते भारत पर ईरान के ऊपर लगे प्रतिबंधों का असर भी कम ही होगा। थॉमसन रॉयटर्स ऑयल रिसर्च एंड फोरकास्ट्स की ओर से जुटाए गए डाटा के मुताबिक इस महीने भारत ने अमरीका से 3,19,000 बैरल प्रतिदिन क्रूड की बुकिंग करवाई है। जुलाई में भारत ने अमरीका से 1,19,000 बैरल क्रूड प्रतिदिन के हिसाब से आयात किया था। ऐसे में जुलाई के मुकाबले इस महीने भारत की अमरीका से खरीद तीन गुना के करीब होगी। अगस्त में भारत की ओर से क्रूड का आयात इस साल के शुरूआती 7 महीनों के मुकाबले भी अधिक होगा। इससे पता चलता है कि अमरीका से भारत का आयात कितनी तेजी से बढ़ा है।

अमरीका से सौदेबाजी कर सकेगा भारत
क्रूड मार्कीट के एनालिस्ट्स का कहना है कि ऐसी स्थिति में भारत के पास अमरीका से कच्चे तेल की खरीद के लिए सौदेबाजी करने का अवसर होगा। चीन की ओर से खरीद रोके जाने के बाद साऊथ कोरिया के बाद भारत अमरीका का दूसरा सबसे बड़ा बायर होगा। इसके चलते कच्चे तेल की कीमतों में भी गिरावट देखने को मिल सकती है जो पॉलिसी मेकर्स के लिए चिंता का सबब रहा है।

ईरान को झटके से अमरीका और सऊदी अरब को होगा फायदा
हालांकि क्रूड की राजनीति की बात करें तो इस महीने ईरान से खरीद में कमी और अमरीका के साथ कारोबार बढ़ाने पर भी सवाल उठ रहे हैं। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा क्रूड आयातक देश है और यदि वह ईरान के साथ खरीदारी में कटौती करता है तो इससे उसके प्रतिद्वंद्वी देशों सऊदी अरब और अमरीका को फायदा मिलेगा। 

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