बस्तर में मौजूद है पक्षियों की 315 प्रजातियां, जिनमें 159 दुर्लभ

बीजापुर
 गिद्ध प्रकृति की एक सुंदर रचना है, मानव का मित्र और पर्यावरण का सबसे बड़ा हितैषी। साथ ही कुदरती सफाई कर्मी भी है। परंतु आज इन पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं और अगर हालात इसी तरह से रहे तो आने वाले समय में गिद्ध विलुप्त हो जाएंगे।

यह बात बर्ड काउंट इंडिया के परियोजना सहयोगी रवि नायडू ने अंतरराष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस के मौके पर कही। बीजापुर में यह पहला अवसर था, जब गिद्ध जागरूकता पर इस तरह की कार्यशाला आयोजित की गई थी।

इस दौरान सामान्य वन मंडल एवं आईटीआर के रेंज स्तर अधिकारियों से लेकर अमले के सभी कर्मचारी उपस्थित थे। रवि नायडू ने बताया कि भारत में व्हाइट, बैक्ड, ग्रिफ, यूरेशियन और स्लैंडर प्रजाति के गिद्ध पाए जाते हैं।

इनके संरक्षण के लिए विश्वभर में सितम्बर माह के प्रथम शनिवार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अंतरराष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस मनाया जाता है। इसकी शुरूआत वर्ष 2009 से अफ्रीकन देशों से हुई जिसका मुख्य उद्देशय विलुप्त होते गिद्धों का संरक्षण करना है।

कार्यशाला के दौरान उन्होंने यूरेशियन गिद्ध से जुड़ी एक महत्वपूर्ण जानकारी दी। उन्होंने बताया कि हिमालय की तराई में पाया जाने वाला यूरेशियन गिद्ध जिसे ग्रिफॉन वल्चर के नाम से भी जाना जाता है। सर्दियों के मौसम में बस्तर संभाग का बीजापुर जिला इसकी शरणस्थली बन जाती है।

ये दुर्लभ प्रजाति का गिद्ध है, जो हिमालय की तराई में पाए जाते हैं। रवि नायडू के मुताबिक सर्दियों की शुरूआत के साथ हिम आच्छादित इलाकों में जब तापमान में गिरावट आने के साथ इनका पलायन भी शुरू हो जाता है। मौसम के अनुकूल प्रवास के उद्देश्य से ये गिद्ध देश के कुछ हिस्सों की तरफ रूख करते हैं। जिनमें बीजापुर भी शामिल है।

उन्होंने यह भी बताया कि पूरे भारतवर्ष में पाई जाने वाली पक्षियों की विभिन्न् प्रजातियों में अकेले बस्तर में पक्षियों की 315 प्रजातियां मौजूद है। इनमें से 159 प्रजातियों का बीजापुर के सघन वन क्षेत्र में नैसर्गिक रहवास भी है। रवि नायडू के मुताबिक छत्तसीगढ़ का बस्तर पक्षियों के रहवास के लिए आदर्श स्थल है।

भौगोलिक रूप में पश्चिम और पूर्वी घाट के मध्य बस्तर एक कॉरिडोर की तरह है, जिसके चलते यहां पक्षियों की 315 प्रजातियां यह पाई जाती है और इसमें दिलचस्प बात यह है कि लगभग 150 प्रजातियां यहां रहवासी है। इस तरह भारत में पश्चिम बंगाल के बाद छत्तीसगढ़ का बस्तर पक्षियों के रहवास के लिहाज से आदर्श स्थल का सूचक है। हालांकि बस्तर में पाई जाने वाली पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों पर, जो दुर्लभ प्राय है उन पर गहन शोध की आवश्यकता है।

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