MP: क्या मुलताई में 2013 की हार का बदला ले पाएगी कांग्रेस ?
नई दिल्ली
मुलताई विधानसभा सीट बैतूल जिले में आनी वाली 5 विधानसभा सीटों में से एक है. यहां पर पुरुष मतदाता 1 लाख 8 हजार 469 और महिला मतदाता 97 हजार 833 हैं. यह क्षेत्र महाराष्ट्र की सीमा से लगा हुआ है. वर्तमान में मुलताई विधानसभा सीट पर बीजेपी का कब्जा है. बीजेपी के चंद्रशेखर देशमुख विधायक हैं. उन्होंने 2013 के चुनाव में कांग्रेस के सुखदेव पांसे को 31 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था. वहीं 2008 के चुनाव में कांग्रेस की जीत हुई थी. कांग्रेस के सुखदेव पांसे ने बीजेपी के चंद्रशेकर देशमुख को 2 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था.
मुलताई की सियासत
मुलताई विधानसभा में अब तक हुए चुनाव में कांग्रेस ने 5 बार जीत दर्ज की तो 2 बार बीजेपी ने. वहीं सपा 1 बार तो निर्दलीय विधायक 6 बार विजय रहे. 1998 में किसान नेता बनकर उभरे डॉक्टर सुनीलम ने निर्दलीय चुनाव लड़कर जीत दर्ज की. 2003 में एक बार फिर डॉक्टर सुनीलम ने सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और दूसरी बार विधायक चुने गए. टिकट की बात करें तो बीजेपी की ओर से वर्तमान विधायक चंद्रशेखर देशमुख दावेदारों में सबसे आगे हैं. कांग्रेस की ओर से पूर्व विधायक सुखदेव पांसे सबसे प्रबल दावेदार हैं. इस बार के चुनाव आम आदमी पार्टी भी मैदान में उतर रही है. 'आप' ने यहां से राहुल पंवार को उतारा है.
मुलताई में किसान मतदाता विधायक चुनने में अहम भूमिका निभाते हैं. कहा जाता है जो किसान को खुश कर दिया वह मुलताई की सीट को जीत लिया. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मध्य प्रदेश में चुनावी कैंपेन की शुरुआत करते हुए थे ऐलान किया था कि राज्य में कांग्रेस की सरकार बनते ही किसानों का कर्ज माफ किया जाएगा. इसके बाद राज्य के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस अध्यक्ष पर हमला करते हुए कहा कि वे पहले मुलताई में साल 1998 में पुलिस फायरिंग में 21 किसानों की मौत का जवाब दें. आपको बता दें कि जिस वक्त इन 21 किसानों की मौत हुई थी उस वक्त एमपी में कांग्रेस की सरकार थी और दिग्विजय सिंह सीएम थे. अब ऐसे में दोनों ही पार्टियां किसानों को खुश करने में लगी हैं. ऐसे में देखना होगा मतदान के दिन किसान किसको वोट देते हैं और किस पार्टी के उम्मीदवार को जिताते हैं.
मुलताई के मुद्दे
मुलताई में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार की समस्या है. यहां पर लोग पानी के लिए तरसते हैं. यहां के लोग खेती पर ही निर्भर रहते हैं. मुलताई में अस्पतालों में डॉक्टरों और संसाधनों की कमी के चलते मरीज इलाज के लिए बड़े शहर जाने को मजबूर हैं. क्षेत्र में कोई बड़े उद्योग नहीं होने की वजह से युवा बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं.