डेयरी क्षेत्र के लिए 8,000 करोड़ रुपए का विकास कोष

अहमदाबाद
डेयरी क्षेत्र को आधुनिक बनाने के एक प्रयास के तौर पर केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) में डेयरी प्रसंस्करण एवं बुनियादी ढांचा विकास कोष (डीआईडीएफ) की स्थापना की है। कोष के लिए 8,004 करोड़ रुपए की राशि निर्धारित की गई है। नाबार्ड को उम्मीद है कि 2019-20 तक इस कोष में निवेश 10,000 करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगा। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) को 440 करोड़ रुपए की पहली किस्त जारी की।

कोष से धन का बंटवारा 6 विभिन्न परियोजनाओं को किया जाएगा जिसमें दक्षिण कन्नड़ मिल्क यूनियन (उडुपी), कोलार-चिखबल्लरपुर मिल्क यूनियन (कोलार), मैसूर मिल्क यूनियन (मैसूर), कर्नाटक मिल्क फेडरेशन (रामनगर), कर्नाटक मिल्क यूनियन (चन्नरायपटना) और रोपड़ मिल्क यूनियन (रोपड़) शामिल हैं। अब तक, नाबार्ड ने डीआईडीएफ के तहत 15 परियोजनाओं के लिए 844 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं। इन परियोजनाओं के लिए कर्नाटक, पंजाब और हरियाणा राज्यों में 1,148 करोड़ रुपए का निवेश किया जाएगा। नाबार्ड का अनुमान है कि मौजूदा वित्त वर्ष के अंत तक मंजूरी 3,800 करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगी।
 
इस कोष की स्थापना ऐसे समय पर की गई है जब विजन 2022 के दस्तावेज में कहा गया है कि भारत का अनुमानित दुग्ध उत्पादन बढ़कर 25,450 करोड़ टन पर पहुंच जाएगा जो कि फिलहाल 1763.50 करोड़ टन है। नाबार्ड को उम्मीद है कि कोष का आकलन व्यवहार्य दुग्ध संगठन और डेयरी संघ एनडीडीबी और राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) के माध्यम से करेंगे। डीआईडीएफ  का उद्देश्य और अधिक डेयरी किसानों को उन्हें बेहतर मूल्य दिलाकर संगठित दुग्ध विपणन से जोडऩा भी है। वहीं सहकारी संस्थाओं की दुग्ध प्रसंस्करण क्षमता बढ़कर 3,200 करोड़ लीटर प्रतिदिन और थोक दुग्ध शीतलन क्षमता 1,400 करोड़ लीटर प्रतिदिन होने जा रही है। 

इस कोष की स्थापना से डेयरी विपणन, वितरण और खुदरा शृंखलाओं में 40,000 प्रत्यक्ष और 2,00,000 से अधिक अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा होने की संभावना है। नाबार्ड की आधिकारिक विज्ञप्ति के आधार पर कृषि मंत्री ने कहा, 'भारत में प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता में उल्लेखनीय वृद्घि हुई है और यह 377 ग्राम प्रतिदिन पर पहुंच गया है। इस क्षेत्र में और अधिक गुणात्मक बदलाव लाकर डेयरी किसानों की आमदनी बढ़ाई जा सकती है।'  नाबार्ड के चेयरमैन हर्ष कुमार भनवाला ने ताजा नाबार्ड अखिल भारतीय वित्तीय समावेशन सर्वेक्षण (एनएएफआईएस) का हवाला देते हुए कहा कि 51 फीसदी कृषि परिवारों में दुधारू पशु पाले जाते हैं। उन्होंने कहा, 'दुग्ध उत्पादन प्रतिवर्ष करीब 6.5 फीसदी की दर से बढ़ रहा है और उत्पादन को संभालने और प्रसंस्कृत करने के लिए बुनियादी ढांचे का निर्माण करने की जरूरत है।'
 

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