मेडिकल कॉलेज के छात्रों को दी जाएगी हैंडराइटिंग सुधारने की कोचिंग

इंदौर 
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हाल ही में तीन डॉक्टरों पर खराब हैंडराइटिंग को लेकर जुर्माना लगाया था। अब इंदौर के एमजीएम मेडिकल कॉलेज ने घोषणा की है कि मेडिकल के छात्रों के लिए हैंडराइटिंग की कोचिंग शुरू की जाएगी, ताकि मरीजों को आसानी हो। 
कॉलेज की डीन डॉ ज्योति बिंदल ने बताया, 'हम छात्रों के लिए ट्रेनिंग सेशन और डॉक्टर्स के लिए सेमिनार सेशन लाने वाले हैं जिससे कि उनकी राइटिंग स्किल्स सुधर सकें। हैंडराइटिंग डॉक्टर्स के लिए लंबे समय से परेशानी का कारण रही है और अब यह सोशल स्टिग्मा बन चुकी है। हम चाहते हैं कि यह खत्म हो।' 

डॉ बिंदल ने बताया कि ऐसी हैंडराइटिंग जिसे पढ़ा न जा सके, उसके कारण कभी मरीज गलत दवा इस्तेमाल कर सकता है। मेडिकल बीमा के केस में भी इसकी वजह से दिक्कत होती है। हाल ही में लॉन्च हुई आयुष्मान भारत योजना में भी यह साफ कहा गया है कि अगर राइटिंग समझ नहीं आई, तो मरीज इसका लाभ नहीं ले सकेंगे। कॉलेज की एक छात्रा मनीषा गोयल ने कहा कि हैंडराइटिंग की कोचिंग से छात्रों पर अतिरिक्त भार तो पड़ेगा लेकिन यह जरूरी है और इससे तनाव भी कम होगा। 

डिजिटल सॉफ्टवेयर का सहारा लेते डॉक्टर 
गौरतलब है कि राइटिंग की समस्या को कुछ हद तक आसान करने के लिए 2015 में स्वास्थ्य मंत्रालय ने प्रिस्क्रिप्शन को कैपिटल लेटर्स में लिखना अनिवार्य कर दिया था जिससे कि केमिस्ट्स और मरीज दोनों उसे समझ सकें। इंदौर में करीब 100 डॉक्टर्स डिजिटल प्रिस्क्रिप्शन की ओर बढ़ चुके हैं। वे रिपोर्ट और दवा के लिए स्पेशल सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करते हैं। 

इंडियन मेडिकल असोसिएशन के सदस्य डॉ संजय लोढे ने बताया, 'हमने पिछले साल IMA के सदस्यों को निर्देश दिया था कि या तो वे अपने राइटिंग सुधार लें, या कैपिटल लेटर्स में लिखना शुरू कर दें, ताकि प्रिस्क्रिप्शन को पढ़ा जा सके। हालांकि, कई डॉक्टरों ने डिजिटल सॉफ्टवेयर का विकल्प चुना है।' डॉक्टरों का कहना है कि भले ही सॉफ्टवेयर से लिखने में समय ज्यादा लगता है लेकिन वह सबसे सही है। 
 

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