अमृतसर रेल हादसा: ‘मैंने अपना नाबालिग बेटा खो दिया, कोई ला दो उसे’

अमृतसर
पंजाब के अमृतसर के चौड़ा फाटक के पास हुए शुक्रवार शाम भयानक ट्रेन हादसे में जान गंवानेवाले लोगों ने हादसे का खौफनाक मंजर बयां किया। बताया जाता है कि जिस वक्त यह हादसा हुआ, उस वक्त जलते रावण के पटाखों की गूंज में रेलवे ट्रैक पर खड़े दहन देखनेवालों को ट्रेन की सीटी सुनाई नहीं पड़ी। नतीजतन पलक झपकते ही वे तेज रफ्तार ट्रेन की चपेट में आ गए। इस हादसे में 61 लोगों की मौत और 51 के जख्मी होने की प्रशासन ने पुष्टि की है। 
 
हादसे के बाद एक गमगीन महिला ने कहा, 'मैंने अपना नाबालिग बेटा खो दिया। मुझे मेरा बेटा लौटा दो।' एक स्थानीय शख्स ने कहा, ‘कई बार हमने अधिकारियों और स्थानीय नेताओं से कहा कि इस मुद्दे को रेलवे के साथ उठाएं कि दशहरे के दौरान फाटक के पास ट्रेनों की गति को कम रखा जाए, लेकिन किसी ने हमारी बात नहीं सुनी।’ 

‘हादसे के बाद हाथ-पैर भी नहीं मिल रहे…'
हादसे के बाद चश्मदीदों ने कहा, ‘भीड़भाड़ वाले इलाके से गुजरते हुए ट्रेन की रफ्तार अमूमन कम होती है। लेकिन हादसे के वक्त ट्रेन काफी तेजी से गुजरी।’ उनका कहना था कि ऐसा मंजर उन्होंने पहले कभी नहीं देखा। वे अपने परिजनों को हादसे के बाद पहचान नहीं पा रहे थे। एक चश्मदीद के मुताबिक, ‘हादसे के बाद हाथ-पैर मिल जाते थे। लेकिन यहां तो कुछ भी नहीं मिल रहा। हम पहचान नहीं पा रहे कि हमारे लोग कौन हैं।’ 

‘मदद करने की बजाय वह भाग गईं’
हादसे के बाद स्थानीय लोगों ने मीडिया से कहा, ‘नवजोत सिंह सिद्धू इलाके से एमएलए हैं। उनकी पत्नी नवजोत कौर सिद्धू तो हादसे के वक्त मंच पर मौजूद थीं। हम सबको मदद की जरूरत थी। लेकिन मदद करने बजाय भाग गईं।’ इसके बाद हालांकि नवजोत कौर ने सफाई दी कि वह हादसे की जगह इसलिए छोड़कर गईं क्योंकि पीड़ितों का इलाज पहली प्राथमिकता थी। कौर ने इस मसले पर राजनीतिक बयानबाजी करने वालों की निंदा की। 

"सभी अस्पतालों को घायलों के इलाज के लिए खुला रखने को कहा गया है। मृतकों के परिजनों को 5 लाख और घायलों को मुफ्त इलाज मिलेगा।"
-अमरिंदर सिंह, (सीएम, पंजाब)

अमृतसर में कई सौ लोग डबल रेलवे ट्रैक के पास जलाए जा रहे रावण को देखने गए थे। कई लोग रेलवे ट्रैक पर खड़े थे। तभी अचानक एक ट्रैक पर ट्रेन आ गई, पटाखों के शोर में ट्रेन की आवाज नहीं सुनाई दी। जब ट्रेन लोगों को कुचलने लगी तो आसपास खड़े लोग दूसरे ट्रैक की तरफ भागे लेकिन 300 की भीड़ में से 61 लोगों की मौत हो गई। 

 बगैर इजाजत हो रहा था दहन
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ट्रेन नंबर 74643 रावण दहन देख रहे करीब 300 लोगों के लिए काल बन गई। चौड़ा बाजार इलाके में मौजूद एक चश्मदीद ने बताया, 'यहां पर कांग्रेस के कुछ स्थानीय नेताओं की ओर से प्रशासन से मंजूरी लिए बिना दशहरा समारोह का आयोजन किया गया था।' 

हादसे के बाद स्थानीय लोगों में प्रशासन और रेलवे को लेकर काफी गुस्सा है। घटनास्थल पर मौजूद चश्मदीदों ने कहा, 'प्रशासन और दशहरा कमिटी की पूरी तरह गलती है। जब रेलवे लाइन के किनारे ऐसा कोई आयोजन था तो पहले रेलवे से मंजूरी ली जानी चाहिए थी और आयोजन स्थल के पास से ट्रेन को धीमी रफ्तार से निकालना चाहिए था।' 

 
रावण दहन का आयोजन ऐसी जगह पर क्यों?
घटना के बाद लोग सवाल उठा रहे हैं कि रावण दहन का आयोजन ऐसी जगह पर क्यों किया गया देखने के लिए लोग पटरी पर आ गए। एक चश्मदीद के मुताबिक, 'इसकी न तो रेलवे न सुध ली, न दशहरा कमिटी और न ही स्थानीय प्रशासन ने। साफ है कि हर महकमा अपनी तरफ से निश्चिंत ओर लापरवाह था।' 

रेलवे के हेल्पलाइन नंबर 
0183-2223171, 0183-2564485 
 

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