शिवराज आश्वस्त विधायक एकजुट, किला मजबूत
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भोपाल
मध्य प्रदेश में फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दे दिया है। 20 मार्च की शाम 5 बजे तक विधानसभा में फ्लोर टेस्ट होना है। इस फैसले के बाद जहां कमलनाथ सरकार के लिए खतरा बढ़ गया है, वहीं भाजपा के सरकार बनाने की संभावनाएं मजबूत हो गई हैं। पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता शिवराज सिंह चौहान ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कहा कि "फ्लोर टेस्ट में ये सरकार पराजित होगी. नई सरकार बनने का रास्ता साफ होगा।"
चौहान ने कहा कि "आंतक, दबाव, लोभ, प्रलोभन के प्रयास में कमलनाथ जी बुरी तरह विफल रहे। इसमें दिग्विजय सिंह भी लगे थे। कल फ्लोर टेस्ट होगा। हाथ उठाके होगा। और हमारा विश्वास है कि अल्पमत की सरकार जाएगी।" उन्होंने कहा कि "हमारे विधायक साथियों ने थोड़ा विश्राम किया है. अब बड़ी जिम्मेदारी आने वाली है। हमारे विधायक एकजुट हैं, किला मजबूत है।" आखिर वे इतने आश्वस्त क्यों नजर आ रहे हैं? इसकी वजह है मध्य प्रदेश विधानसभा का वर्तमान गणित। जो बताता है कि स्पीकर पर सारा खेल निर्भर करेगा। कैसे, आइए समझें।
ये गणित है शिवराज के कॉन्फिडेंस की वजह
मध्य प्रदेश की 230 सदस्यीय विधानसभा में दो स्थान रिक्त हैं और स्पीकर से कांग्रेस के छह विधायकों के इस्तीफे स्वीकार कर लिए गए हैं। यहां बीजेपी के 107, कांग्रेस के 108, बीएसपी के दो, एसपी का एक और निर्दलीय के चार विधायक हैं। विधानसभा में सदस्यों की कुल संख्या 222 रह गई है। लिहाजा बहुमत के लिए 112 विधायकों की जरूरत होगी। कांग्रेस के पास चार विधायक कम हैं और बीजेपी के पास पांच विधायक कम हैं।
स्पीकर का फैसला तय करेगा सरकार का भविष्य
कांग्रेस के पास एसपी, बीएसपी और निर्दलीयों को मिलाकर कुल सात अतिरिक्त विधायकों का समर्थन हासिल है। यदि यह स्थिति रहती है तो कांग्रेस के पास कुल 115 विधायकों का समर्थन होगा। स्पीकर ने कांग्रेस के छह विधायकों का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। अब अगर स्पीकर बाकी 16 बागी विधायकों का फैसला मंजूर करते हैं तो कांग्रेस सरकार गिर जाएगी क्योंकि तब उसके विधायकों की संख्या सिर्फ 92 रह जाएगी। बीजेपी के पास 107 विधायक होंगे। उस स्थिति में सदन में कुल विधायक 206 रह जाएगी और बहुमत का आंकड़ा 104 पर आ जाएगा। ऐसे में बीजेपी फ्लोर टेस्ट में बाजी मार सकती है।
सिंधिया ने जोड़ी पार्टी, MP कांग्रेस में आया भूचाल
कांग्रेस को बड़ा झटका देते हुए उसके नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी छोड़ दी थी। इसके बाद मध्य प्रदेश से पार्टी के 22 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया। इस वजह से 15 महीने पुरानी कमलनाथ सरकार गिरने के कगार पर पहुंच गई है। सिंधिया 11 मार्च को भाजपा में शामिल हो गए थे। इसी के बाद से राज्य में राजनीतिक संकट गहरा गया।