पाकिस्तान पनडुब्बियों को घातक बनाने की फिराक में था, जर्मनी ने दिया जोर का झटका

नई दिल्ली 
दुनियाभर में आतंकवाद के मुद्दे पर घिरे पाकिस्तान को एक और करारा झटका लगा है। जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल की अध्यक्षता वाले एक शीर्ष सुरक्षा पैनल ने पनडुब्बियों के लिए एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (एआईपी) सिस्टम के  पाकिस्तान के अनुरोध को ठुकरा दिया है। इन सिस्टम की मदद से पाकिस्तान की पनडुब्बियां हफ्तों तक पानी के नीचे रह सकती थीं। इस पूरे मामले से अवगत लोगों ने यह जानकारी दी। एक व्यक्ति ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया, 'चांसलर एंजेला मर्केल की अध्यक्षता वाली जर्मन संघीय सुरक्षा परिषद ने 6 अगस्त को अपने इस फैसले से पाकिस्तान दूतावास को अवगत करा दिया है।' पाकिस्तान ने एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन सिस्टम तक पहुंच के लिए अनुरोध किया था। इससे पाकिस्तान अपनी पनडुब्बियों की बैटरी को लंबे समय तक सतह पर लाए बिना रिचार्ज कर सकता है। पाकिस्तान ने अपनी सूची में पनडुब्बियों के अपग्रेड किए जाने और चीन में संयुक्त चीन-पाकिस्तान परियोजना के तहत निर्मित होने वाली युआन श्रेणी की पनडुब्बियों का प्रस्ताव दिया था। एआईपी सिस्टम डीजल इंजनों को एक सप्ताह या उससे अधिक समय तक वायुमंडलीय हवा के बिना चलाकर पनडुब्बियों की लड़ाकू क्षमताओं को पहले के मुकाबले काफी बढ़ा देता है।

परम्परागत पनडुब्बियों को अपने डीजल इंजनों को चलाने के लिए लगभग हर दूसरे दिन सतह पर जाने का जोखिम उठाना पड़ता है। इस पूरे मामले पर एक भारतीय अधिकारी ने कहा कि जर्मनी की प्रधानमंत्री द्वारा इमरान खान की सरकार को इस तकनीक से मदद करने से इंकार करना 'इसकी सुस्ती और भेदने की शक्ति पर काफी प्रभाव डालेगा।' भारत का रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) स्वदेशी रूप से नौसेना की पनडुब्बियों के लिए सिस्टम को विकसित कर रहा है। पिछले साल यह प्रयास तब काफी आगे निकल गया, जब  एक भूमि-आधारित प्रोटोटाइप का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया। दिल्ली में पाकिस्तान पर नजर रखने वालों ने कहा कि जर्मनी के पाकिस्तान के अनुरोध पर सख्त रुख अपनाने का मुख्य कारण आतंक को बढ़ावा देने में उसकी भूमिका को माना जा रहा है। इसमें से विशेष रूप से मई में काबुल में जर्मनी दूतावास पर ट्रक बम हमले के अपराधियों की पहचान करने में सहयोग करने में पाकिस्तान ने विफलता दिखाई थी। दूतावास के पास काबुल के एक केंद्रीय क्षेत्र में तबाही मचाने वाले बम विस्फोट में लगभग 150 लोग मारे गए थे। हाल के वर्षों में सबसे घातक आतंकी हमलों में गिना जाने वाला यह बम हक्कानी नेटवर्क से जुड़ा था, जिसे माना जाता है कि पाकिस्तान का समर्थन हासिल रहा है। अफगान राष्ट्रीय सुरक्षा निदेशालय ने तब आतंकी हमले के लिए पाकिस्तान के पड़ोस में स्थित हक्कानी नेटवर्क को दोषी ठहराते हुए और पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी आईएसआई पर हमले की योजना बनाने में मदद करने का आरोप लगाया था। 
 

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