हॉन्ग कॉन्ग: कोरोना से ठीक हो चुका मरीज 4 महीने बाद फिर से हुआ संक्रमित, क्या यह किसी नए खतरे की दस्तक है

नई दिल्ली
कोरोना वायरस संक्रमण की शुरुआत हुए करीब 9 महीने हो चुके हैं, लेकिन अब भी वैज्ञानिक इस घातक वायरस के तमाम पहलुओं को समझने की ही कोशिश कर रहे हैं। नया-नया वायरस है, लिहाजा इसके बारे में लगातार कुछ न कुछ नए तथ्य भी सामने आ रहे हैं। ताजा मामला तो ऐसा है जो वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ा सकता है। दरअसल, हॉन्ग कॉन्ग में एक ऐसा मामला सामने आया है जहां कोरोना से ठीक होने के करीब 4 महीने बाद एक शख्स दोबारा संक्रमित पाया गया है। कोरोनामुक्त होने के बाद फिर से इसकी चपेट में आने का यह दुनिया का पहला मामला माना जा रहा है। आइए समझते हैं कि क्या यह एक किसी नए खतरे की दस्तक है और भारत सरकार ने इस पर क्या कहा है।

क्यों हो सकती है टेंशन वाली बात
दरअसल, किसी वायरस से ठीक होने के बाद मरीज के शरीर में उसके प्रति इम्युनिटी विकसित हो जाती है। कुछ वायरसों के मामले में यह कम समय यानी कुछ महीनों से लेकर कुछ साल तक रहती है तो कुछ वायरसों जैसे खसरा के मामले में यह इम्युनिटी ताउम्र रहती है। ताउम्र इन्युनिटी का मतलब है कि संक्रमित व्यक्ति ठीक हो गया तो उसे वह वायरस दोबारा कभी भी संक्रमित नहीं कर पाएगा। कोरोना वायरस से ठीक होने वालों में यह इम्युनिटी कब तक रहती है, यह अभी रिसर्च का विषय बना हुआ है। इस नए वायरस के बारे में पता चले ही अभी 9 महीना हुआ है लिहाजा अभी पुख्ता तौर पर नहीं कहा जा सकता कि एक बार इसके संक्रमण से ठीक होने वालों में कितने समय तक इसके प्रति इम्युनिटी बनी रहेगी। कुछ शुरुआती रिसर्च में बताया गया था कि कोरोना संक्रमण से ठीक होने वाले कम से कम अगले 1 से 2 साल तक इससे दोबारा संक्रमित नहीं होंगे। कुछ अन्य रिसर्च में यह अवधि 3-4 महीने तक की बताई गई थी। अब हॉन्ग कॉन्ग का मामला सामने आने के बाद यह आशंका बढ़ गई है कि कोरोना से ठीक होने वालों में लंबे समय तक इसके प्रति इम्युनिटी नहीं रह रही है।

भारत के लिए कितनी चिंता की बात? सरकार ने यह कहा
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने हॉन्ग कॉन्ग में कोरोना से ठीक हो चुके मरीज के फिर से संक्रमित होने की रिपोर्ट पर कहा है कि ज्यादा चिंतित होने की जरूरत नहीं है। उसने कहा है कि अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि कोरोना वायरस के प्रति इम्युनिटी कितने समय तक के लिए रहेगी। आईसीएमआर के डायरेक्टर जनरल बलराम भार्गव ने कहा कि हॉन्ग कॉन्ग का मामला अलग है और वायरस के कारकों पर फिर से संक्रमण निर्भर करता है। उन्होंने कहा, 'हॉन्ग कॉन्ग में एक मामले में फिर से संक्रमण की खबर हमने पढ़ी है। आगे बढ़ने के साथ हमें बीमारी के बारे में ज्यादा से ज्यादा पता चल रहा है। यह कई कारकों पर निर्भर कर सकता है। एक कारण स्वयं रोगी से जुड़ा हुआ है। उसकी प्रतिरोधक क्षमता कैसी है, क्या उसमें कोई कमी आई है। यह वायरस पर भी निर्भर कर सकता है।' उन्होंने कहा कि फिर से संक्रमण का केवल एक मामला सामने आया है और वायरल इन्फेक्शन के लिए यह काफी दुर्लभ है। खसरा का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि एक बार इससे ठीक होने पर इसके प्रति आजीवन प्रतिरोधक क्षमता मिल जाती है। लेकिन शायद ही किसी को दोबारा खसरा होता है।

क्या है हॉन्ग कॉन्ग वाला मामला
दरअसल हॉन्ग कॉन्ग यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों ने सोमवार को बताया कि कोरोना से ठीक हो चुका एक 33 साल का शख्स फिर से कोरोना पॉजिटिव पाया गया है। उसे अप्रैल में हॉस्पिटल से छुट्टी दी गई थी। अब 4 महीने बाद वह स्पेन से ब्रिटेन होते हुए हॉन्ग कॉन्ग लौटा है और फिर से कोरोना पॉजिटिव पाया गया है।

हॉन्ग कॉन्ग के मामले पर WHO ने क्या कहा
सोमवार को हॉन्ग कॉन्ग का मामला सामने आने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक्सपर्ट मारिया वान केरखोव ने कहा कि इस मामले में हमें जल्दबाजी में किसी नतीजें पर नहीं पहुा चाहिए। चीन का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि वहां भी फिर से कोरोना संक्रमित होने के कुछ मामले सामने आए हैं लेकिन उनमें एक बात यह निकलकर आई थी मरीजों के फेफड़ों में वायरस मौजूद था जिसका टेस्टिंग में पता नहीं चला। बाद में हुए टेस्ट में वही वायरस डिटेक्ट हुआ है।

चीन से भी आ चुके हैं दोबारा संक्रमण के मामले लेकिन…
हॉन्ग कॉन्ग से पहले चीन से भी कोरोना से दोबारा संक्रमित होने के मामले सामने आ चुके हैं। हालांकि, उन मामलों में यह स्पष्ट नहीं था कि जिन लोगों के दोबारा संक्रमित होने की बात कही गई वे पहले संक्रमण से पूरी तरह ठीक हुए भी थे या नहीं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button