PHQ ने मांगे थे 60 करोड़, नहीं मिला एक भी पैसा, फिर भी बिना बजट इंतजाम जारी

भोपाल
पुलिस मुख्यालय ने भले ही चार हजार पुलिस आरक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया शुरू कर दी हो, लेकिन उसके पास भर्ती के लिए बजट ही नहीं है। पिछले बजट में उस शासन ने इस मद में कोई राशि नहीं दी। अब भर्ती के लिए पुलिस मुख्यालय को दूसरे मदों से यह पैसा निकालकर खर्च करना पड़ा सकता है। इस भर्ती पर करीब दस करोड़ रुपए का खर्च आने का अनुमान लगाया जा रहा है।

व्यापमं से रिजल्ट आने के बाद चार हजार पदों के बदले लगभग 50 हजार युवाओं को फिजिकल टेस्ट के लिए चयनित किया जाएगा। इनका फिजिकल टेस्ट में होने वाली दौड़ के लिए चिप लेना होगी। चिप के लिए पीएचक्यू किसी प्रायवेट संस्था से संपर्क कर सकता है, लेकिन इस चिप का पैसा पुलिस मुख्यालय को देना होगा। जिस पर लगभग डेढ़ करोड़ रुपए का खर्च आने का अनुमान है। इसी तरफ गोला फेक भी होगा, जिसके लिए गोले खरीदना होंगे। वहीं फिजिकल टेस्ट के लिए टेंट आदि की व्यवस्था भी पुलिस को करनी होगी। इसके साथ ही एडीजी या आईजी रैंक के अफसरों की हर संभाग में कमेटी बनाई जाएगी। इस कमेटी में एडीजी से लेकर कमांडेंट स्तर तक के अफसर शामिल होंगे। इन अफसरों के साथ ही पुलिस भर्ती में तैनात होने वाले जवानों का टीए-डीए का बड़ा खर्च पुलिस मुख्यालय को वहन करना होगा। इसके बाद लगभग 12 हजार युवाओं को इंटरव्यू के लिए चयनित किया जाएगा, इनके इंटरव्यू की व्यवस्थाओं पर भी पुलिस मुख्यालय को खर्चा उठाना होगा। ऐसा माना जा रहा है कि इस भर्ती पर लगभग 10 करोड़ रुपए का खर्च आ सकता है।

सूत्रों की मानी जाए तो पुलिस मुख्यालय ने कमलनाथ सरकार से 60 करोड़ रुपए पुलिस भर्ती के लिए मांगे थे। यह प्रस्ताव पुलिस मुख्यालय ने गृह विभाग को जनवरी 2020 में भेजा था। बजट से पहले कमलनाथ की सरकार गिर गई। इसके बाद यह प्रस्ताव भी ठंडे बस्ते में चला गया। दरअसल इस प्रस्ताव में यह भी शामिल था कि परीक्षा भी पुलिस मुख्यालय ही आयोजित करे, इसलिए इस मद के लिए ज्यादा राशि मांगी गई थी।

ऐसा माना जा रहा है कि चार हजार आरक्षकों के पदों के लिए लगभग आठ लाख युवक व्यापमं की परीक्षा में शामिल हो सकते हैं। इतनी संख्या के अनुसार यह अनुमान लगाया गया है कि करीब चालीस करोड़ रुपए व्यापमं को लिखित परीक्षा की फीस के रूप में आएंगे, जो शासन के पास जाएंगे।

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