जांच करने का दिया निर्देश, स्मार्ट मीटर तेज चलने की शिकायत पर चेक मीटर लगाकर होगी जांच 

 गोरखपुर | 
स्मार्ट मीटर के तेज चलने की शिकायत का संज्ञान लेकर पावर कारपोरेशन ने उपभोक्ताओं के दावे की जांच कराने की व्यवस्था बनाई है। इसके तहत पावर कारपोरेशन ने चेक मीटर लगाकर जांच करने का निर्देश दिया है। अब मीटर तेज चलने की शिकायत लेकर बिजली निगम का चक्कर काट रहे उपभोक्ताओं के परिसर में चेक मीटर लगाकर जांच की जाएगी। इसके लिए उपभोक्ताओं को 175 रुपये फीस जमा करनी होगी। यदि पुराना मीटर तेज चलता मिला तो उपभोक्ता से अबतक लिए गए बिजली बिल को नए बिल मे समायोजित किया जाएगा। दरअसल जन्माष्टमी के बाद से स्मार्ट बिजली मीटर को लेकर विवाद चल रहा है। 

अगस्त में अचानक महानगर के एक हजार उपभोक्ताओं के मीटर से बिजली आपूर्ति ठप हो गई। इस तहर प्रदेशभर में लाखों घरों की बत्ती गुल हो गई। अफसरों के हाथ-पांव फूल गए। बताया गया कि शक्तिभवन स्थित सेण्ट्रल सर्वर में तकनीकी खामी से बिजली गुल होने की समस्या हुई। इसको लेकर जांच टीम भी बनी। गोरखपुर से आधा दर्जन स्मार्ट बिजली मीटर जांच में भेजे गए। इसके बाद कारपोरेशन ने स्मार्ट मीटर लगाने पर रोक लगा दी। 

अब प्रदेश में कहीं भी स्मार्ट मीटर नहीं लगाए जा रहे हैं। मीटर तेज चलने की शिकायत चर्चा में आने पर कारपोरेशन के एमडी एम देवराज ने चारों डिस्काम को पत्र भेजकर स्मार्ट मीटर पर चेक मीटर लगाने के लिए गाइडलाइन जारी की है। उन्होंने चेक मीटर के मानक भी तय किए हैं। इसके साथ ही स्थानीय अफसरों से कहा है कि स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं की समस्याओं का तत्काल से निराकरण करें। इसमें लापरवाही अक्ष्यम होगी। 

उन्होंने कहा है कि स्मार्ट मीटर पर चेक मीटर के रुप में स्मार्ट मीटर ही लगाए जाए। सूत्रों  कहना है कि यह कवायद उपभोक्ताओं को आश्वस्त करने की है। स्मार्ट मीटर की चाल नापने के और भी तरीके है। मसलन एक्वाचेक से भी मीटर की जांच की जा सकती है। महानगर के परीक्षण खण्ड में पांच साल पहले आया एक्वाचेक मीटर खराब पड़ा है। परीक्षण खण्ड के अभियंता उसका इस्तेमाल भी नहीं करते है।

गोरखपुर में एलएंडटी लगा रही थी स्मार्ट मीटर
पिछले साल स्मार्ट मीटर लगाने की शुरुआत हुई । गोरखपुर में लार्सन एंड टूब्रो (एलएंडटी) को स्मार्ट मीटर लगाने का काम दिया गया । टाउनहॉल, बक्शीपुर, मोहद्दीपुर और राप्तीनगर खंड के लिए एलएंडटी ने तीन एजेंसियों के माध्यम से स्मार्ट मीटर लगवाना शुरू किया। अब तक 55882 घरों में स्मार्ट मीटर लगाए जा चुके है। 20 अगस्त से स्मार्ट मीटर लगाने पर रोक लगी है। यह रोक अब भी जारी है।

सैकड़ों उपभोक्ताओं की शिकायत
स्मार्ट मीटर लगने के बाद कई उपभोक्ताओं ने इसके तेज चलने की शिकायत की। बताया कि इलेक्ट्रॉनिक मीटर की जगह जबसे स्मार्ट मीटर लगा हैं तब से बिजली का बिल अधिक आ रहा है।  उपभोक्ताओं की शिकायत के बाद भी चेक मीटर लगाने की कोई व्यवस्था न होने के कारण अफसर समस्या का समाधान नहीं कर पा रहे थे। शहर के तारामणडल व राप्तीनगर क्षेत्र के राजनगर के दो उपभोक्ताओं को छोड़कर सभी की शिकायत है कि स्मार्ट मीटर लगने के बाद बिजली बिल की राशि दोगुनी हो गई है।

स्मार्ट मीटर ही लगेगा
चेक मीटर के रूप में मीटर तेज चलने की शिकायत पर जो उपभोक्ता चेक मीटर लगाने का अनुरोध करेंगे उनके परिसर में स्मार्ट मीटर ही चेक मीटर के रूप में लगेगा। दोनों मीटरों को अगल-बगल लगाया जाएगा। सात से 15 दिनों के बाद रीडिंग की गणना की जाएगी।

मीटर धीमा मिला तो उपभोक्ता को देने होंगे रुपये
बिजली निगम के प्रबंध निदेशक एम देवराज की ओर से जारी निर्देश में कहा गया है कि यदि स्मार्ट मीटर तेज चलता मिला तो उपभोक्ता के नए बिल में ज्यादा लिए गए रुपये समायोजित कर दिए जाएंगे लेकिन यदि पुराना मीटर धीमा चलता मिला तो उपभोक्ता से किस्त के रूप में अब तक उपभोग की हुई बिजली के रुपये लिए जाएंगे। मीटर तेज या धीमा चलने की स्थिति में दूसरा स्मार्ट मीटर लगाया जाएगा। 

रोक के बाद भी लगेंगे स्मार्ट मीटर ही
प्रबंध निदेशक ने साफ कर दिया है कि भले ही प्रदेश में नए स्मार्ट मीटर लगाने पर रोक है लेकिन यदि पुराने स्मार्ट मीटर बदलने की जरूरत हुई तो उसकी जगह पर स्मार्ट मीटर ही लगाए जाएंगे।
 

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