कोरोना महामारी के कारण एक अरब की आबादी घोर गरीबी होगी: संयुक्त राष्ट्र

संयुक्त राष्ट्र 
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) ने कहा है कि कोविड-19 महामारी के गंभीर दीर्घकालिक परिणामों के चलते 2030 तक 20.70 करोड़ और लोग घोर गरीबी की ओर जा सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो दुनिया भर में बेहद गरीब लोगों की संख्या एक अरब के पार हो जाएगी। अध्ययन में कोविड-19 से उबरने के विभिन्न परिदृश्यों के कारण सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) पर पड़ने वाले असर और महामारी की वजह से अगले दशक तक पड़ने वाले बहुआयामी प्रभावों का आकलन किया गया। यह अध्ययन यूएनडीपी और डेनवर विश्वविद्यालय में 'पारडी सेंटर फॉर इंटरनेशनल फ्यूचर्स के बीच लंबे समय से चली आ रही साझेदारी का हिस्सा है।

वर्तमान में 4.40 करोड़ प्रभावित 
शोध दल के मुताबिक, वर्तमान मृत्यु दर और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के हालिया वृद्धि दर अनुमान के आधार पर बेसलाइन कोविड परिदृश्य यह होगा कि महामारी के पहले दुनिया जिस विकास पथ पर थी, उसकी तुलना में 4.40 करोड़ अतिरिक्त लोग 2030 तक घोर गरीबी की चपेट में आ जाएंगे। इसमें कहा गया है कि हाई डैमेज परिदृश्य के तहत कोविड-19 के चलते वर्ष 2030 तक 20 करोड़ 70 लाख और लोग घोर गरीबी की ओर जा सकते हैं।

हर दसवां शख्स 139 रुपये प्रति दिन पर जीवन जी रहा 
वर्ल्ड बैंक के अनुसार, पिछले 25 सालों (1990-2015) में चरम गरीबी की दर में 26 फीसदी की गिरावट आई है। इसके बावजूद यदि वैश्विक रूप से गरीबी में जीवन बसर करने वालों को आय के आधार पर बांटा जाए तो दुनिया की 10 फीसदी आबादी 139.15 रुपये प्रति दिन से कम पर जीवन गुजार रही है। वहीं एक चौथाई लोग 234.36 रुपये और 40 फीसदी से ज्यादा आबादी करीब 330 करोड़ लोग 402.81 रुपये प्रति दिन से कम पर जीवन जीने को मजबूर हैं।

भारत में 1.20 करोड़ गरीब बढ़ेंगे 
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) की रिपोर्ट के अनुसार, कोविड-19 महामारी के कारण वैश्विक गरीबी दर में 22 वर्षों में पहली बार वृद्धि होगी। भारत की गरीब आबादी में करीब एक करोड़ 20 लाख लोग और जुड़ जाएंगे, जो विश्व में सर्वाधिक हैं। ‘स्टेट ऑफ इंडियाज एनवायरनमेंट इन फिगर्स 2020’ रिपोर्ट में कहा गया है कि लॉकडाउन के चलते आय का स्रोत समाप्त हो जाने से चार से छह करोड़ लोग गरीबी में जीवन व्यतीत करेंगे। 

भुखमरी भी सताएगी 
विश्व खाद्य कार्यक्रम के विश्लेषण में पता चला है कि 2020 के अंत तक 13 करोड़ और लोग भुखमरी की कगार पर पहुंच सकते हैं. इस तरह भुखमरी का सामना कर लोगों की कुल संख्या बढ़कर 26 करोड़ 50 लाख तक पहुंच सकती है। विश्व खाद्य कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक डेविड बीस्ले के अनुसार, पूरी दुनिया में हर रात 82 करोड़ 10 लाख लोग भूखे पेट सोते हैं। इसके अलावा 13 करोड़ 50 लाख लोग भुखमरी या उससे भी बुरी स्थिति का सामना कर रहे हैं। 

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