PM मोदी के बुलेट प्रॉजेक्ट को झटका? लगा यह बड़ा अड़ंगा

नई दिल्ली
केंद्र की मोदी सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में से एक मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन के बारे में कहा जा रहा था कि यह अगस्त 2022 तक पूरी हो जाएगी। लेकिन, महाराष्ट्र के पालघर जिले में यह परियोजना अटकती दिख रही है। इसकी वजह यह है कि बुलेट परियोजना के जमीन अधिग्रहण के मसले पर स्थानीय समुदायों और जनजातीय लोगों की ओर से किया जा रहा विरोध है। पालघर जिले के 70 से ज्यादा आदिवासी गांवों के लोगों ने इस परियोजना के लिए जमीन देने से ही इनकार कर दिया है। यही नहीं इस इलाके से गुजरने वाली महत्वाकांक्षी रेल परियोजना के खिलाफ बड़े विरोध प्रदर्शन की भी तैयारी की जा रही है।

   
देश की पहली हाई स्पीड रेल परियोजना पर जनवरी 2019 से काम शुरू होना है और सरकार ने 508 किलोमीटर लंबे इस कॉरिडोर के लिए इस साल के अंत तक जमीन अधिग्रहण पूरा करने की डेडलाइन तय की है। मुंबई और अहमदाबाद को जोड़ने वाले इस हाईस्पीड रेल कॉरिडोर का करीब 110 किलोमीटर का हिस्सा महाराष्ट्र के पालघर जिले से होकर गुजरता है। रेल मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, 'महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में हमें विरोध झेलना पड़ रहा है। लेकिन हमें उम्मीद है कि इस प्रॉजेक्ट पर काम टाइमलाइन के भीतर ही शुरू हो जाएगा। हम जमीन अधिग्रहण के लिए किसानों को सर्किल रेट से 5 गुना अधिक दाम ऑफर कर रहे हैं।'

इस प्रॉजेक्ट के लिए भारतीय रेलवे महाराष्ट्र और गुजरात में में लंबाई में 1,400 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण कर रहा है। इस पर 10,000 करोड़ रुपये की लागत आने वाली है। अधिकारी ने कहा, 'पालघर जिले के कुछ गांवों में 200 हेक्टेयर जमीन के अधिग्रहण को लेकर कुछ विरोध है। इनमें से ज्यादातर आदिवासी गांव हैं और इनमें विकास की खासी कमी है। स्थानीय राजनीति भी यहां विरोध को हवा दे रही है, जबकि यह प्रॉजेक्ट राष्ट्रीय महत्व का होने के साथ ही लोकल डिवेलपमेंट में भी महत्वपूर्ण साबित होगा।

अधिकारी ने कहा, 'इन 73 गांवों में से 50 गांव जल्दी ही राजी हो सकते हैं। इनसे बातचीत की प्रक्रिया जारी है। मुख्य समस्या 23 गांवों के साथ है, जो रेलवे के साथ किसी भी तरह की वार्ता के लिए ही तैयार नहीं हैं। यही नहीं सर्वे के दौरान उन्होंने हमारे अधिकारियों के साथ झड़प का भी प्रयास किया।' 508 किलोमीटर लंबे रेलवे के इस रूट पर 12 स्टेशन होंगे। इस रूट का 349 किलोमीटर हिस्सा गुजरात से होकर गुजरता है, जबकि 154 किलोमीटर हिस्सा महाराष्ट्र से गुजरता है। इसका 7 किलोमीटर हिस्सा मुंबई के उपनगरीय इलाके से गुजरता है और 39 किलोमीटर ठाणे और 110 किलोमीटर पालघर से होकर जाता है।

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