प्रचंड से क्या हार मान लेंगे पीएम ओली, पार्टी से निकाले जाने के बाद जाएगी पीएम की कुर्सी?

नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को उनकी ही पार्टी से निकाले जाने के बाद राजनीतिक सरगर्मियां फिर बढ़ गई हैं। 68 साल के ओली के राजनीतिक भविष्य पर भी अब सवाल खड़े किए जा रहे हैं। लोगों का मानना है कि सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी से बाहर निकाले जाने के बाद अब ओली की राजनीतिक भविष्य ही खतरे में पड़ गया है। लेकिन, पीएम ओली भी इतनी आसानी से हार मानने वाले नहीं है। पीएम ओली पार्टी की स्थायी समिति का फैसला मानने से इनकार कर सकते हैं। उनका तर्क हो सकता है कि इस समिति में पार्टी की पूर्ण सहभागिता नहीं थी। यह सही बात है कि इस बैठक में ओली गुट का कोई भी नेता शामिल नहीं हुआ था। ऐसे में पार्टी के संविधान के जानकारों का भी मानना है कि ओली के दावे को प्रचंड गुट इतनी आसानी से खारिज नहीं कर सकता है।

क्या पीएम पद से हटाए जाएंगे ओली?
इस समय नेपाल की संसद को भंग किया जा चुका है। जिसके कारण ओली कार्यवाहक प्रधानमंत्री का दायित्व निभा रहे हैं। ऐसे में पार्टी से बाहर होने का भी कोई ज्यादा असर नहीं होगा। अगर ओली वर्तमान में नेपाल के पूर्णकालिक प्रधानमंत्री होते तब कहीं न कहीं उनकी कुर्सी जरूर खतरे में पड़ जाती। ऐसे में पार्टी से निकाले जाने के बावजूद ओली अगला चुनाव होने तक आसानी से नेपाल के पीएम की कुर्सी को संभालेंगे।

क्या प्रचंड से हार मान लेंगे ओली?
नेपाल की राजनीति के जानकारों का मानना है कि अब बात इतनी आगे बढ़ चुकी है कि ओली का प्रचंड के सामने झुकना संभव नहीं है। ऐसे में पीएम ओली पार्टी से निकाले जाने के फैसले का विरोध कर सकते हैं। यह भी संभव है कि ओली समर्थित गुट एक अलग बैठक कर प्रचंड को ही पार्टी से निकालने का फरमान जारी कर दे। पार्टी के ऊपर जारी प्रभुत्व की लड़ाई आगे और गंभीर होने वाली है।

ओली और प्रचंड में कौन संभालेगा पार्टी की कमान?
नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी अघोषित रूप से दो भागों में बंट चुकी है। इसमें एक धड़े का नेतृत्व पीएम ओली कर रहे हैं, जबकि विरोधी गुट की कमान प्रचंड के हाथ में है। ऐसे में दोनों ही गुट पार्टी और चुनाव चिन्ह के ऊपर अपना दावा कर सकते हैं। इस मामले के कोर्ट में जाने के ज्यादा आसार हैं। चुनाव आयोग की सलाह पर नेपाली सुप्रीम कोर्ट किसी एक के हिस्से में फैसला सुना सकता है।

पहले ही अध्यक्ष पद से हटाए जा चुके हैं ओली
रविवार को आयोजित पार्टी की स्थायी समिति की बैठक में पीएम ओली को बाहर निकालने का फैसला किया गया। प्रचंड गुट ने पीएम ओली पर पार्टी का अनुशासन भंग करने का आरोप लगाया। उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी से बाहर किए जाने को लेकर ओली खुद ही उत्तरदायी हैं। पार्टी पहले ही ओली को अध्यक्ष पद से हटा चुकी है।

पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण ओली हुए बाहर
प्रचंड गुट ने पार्टी विरोधी गतिविधियों और संसद को भंग किए जाने के फैसले को लेकर ओली से जवाब तलब किया था। पार्टी ने अपने कारण बताओ नोटिस में स्पष्टीकरण मांगते हुए पूछा था कि आपके खिलाफ पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए कार्रवाई क्यों नहीं किया जाए? कृपया तीन दिनों के भीतर संतोषजनक स्पष्टीकरण दें। हालांकि, ओली ने कोई भी जवाब नहीं दिया। जिसके बाद उन्हें बाहर करने का फैसला किया गया।

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