दिल्ली में शाह से मिले रामदेव, याद आई 7 साल पुरानी 4 जून की वो रात

नई दिल्ली
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारियों के क्रम में आज अपने संपर्क अभियान के तहत योग गुरु बाबा रामदेव से मिले. रामदेव ने उनको समर्थन का वायदा भी किया. खास बात ये है कि आज से ठीक सात साल पहले इसी चार जून को रामदेव दिल्ली के रामलीला मैदान में थे और तत्कालीन यूपीए सरकार के खिलाफ ताल ठोंक रहे थे. उसके बाद मैदान पर जो कुछ हुआ उसने रामदेव को सीधे-सीधे बीजेपी के खेमे में लाकर डाल दिया. उससे पहले तक स्वामी रामदेव देश का एक ऐसा चेहरा थे जिसकी लगभग सभी राजनीतिक दलों और समाज के तकरीबन हर तबके तक स्वीकार्यता और सम्मान था.

क्या हुआ था 4 जून 2011 को?
यूपीए सरकार के करप्शन और देश में बढ़ती ब्लैकमनी की समस्या के खिलाफ योग गुरु स्वामी रामदेव ने ऐतिहासिक जंग छेड़ी. पहले उन्होंने देशभर का भ्रमण कर जनसमर्थन जुटाया और उसके बाद सरकार के आरपार की लड़ाई का ऐलान करते हुए चार जून 2011 को दिल्ली के रामलीला मैदान पर अनशन पर बैठ गए. उनके इस अनशन को हजारों लोगों ने रामलीला मैदान पहुंचकर समर्थन दिया. देशभर में भी उनके समर्थन में एक बड़ा तबका इस आंदोलन के तहत धरने पर बैठा.

रामदेव के जलवे का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब वे इस आंदोलन में शामिल होने दिल्ली के इंदिरा गांधी हवाई अड्डे पर पहुंचे तो उनके स्वागत में मनमोहन सरकार के दिग्गज मंत्री जिनमें प्रणब मुखर्जी, पी चिदंबरम, कपिल सिब्बल भी शामिल थे, हवाई अड्डे पहुंचे. वहां रामदेव की मान-मनौव्वल के बाद दिल्ली के एक होटल में इन मंत्रियों ने रामदेव से बात की. होटल में लंबी बातचीत के बाद रामदेव जब बाहर लौटे तो उन्होंने मीडिया से कोई बात नहीं की.

दूसरे दिन रामलीला मैदान पर उनका अनशन शुरू हुआ लेकिन सरकार के मंत्री पर्दे के पीछे शाम को ही उनका अनशन खत्म कराने की कोशिश करते रहे. जब रामदेव ने अनशन खत्म करने से इनकार कर दिया तो तत्कालीन कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने प्रेसवार्ता की. सिब्बल ने तब मीडिया को एक पत्र दिखाया जिसमें बाबा रामदेव के सहयोगी बालकृष्ण के दस्तखत थे. इस पत्र में कहा गया था कि रामलीला मैदान पर सिर्फ एक दिन का सत्संग होगा. मीडिया में इस पत्र का सार्वजनिक होने के बाद पत्रकारों ने रामलीला मैदान पर रामदेव पर सवालों की बौछार कर दी. रामदेव ने तब गुस्से में ऐलान किया कि अब वे किसी सूरत में रामलीला मैदान से नहीं हटेंगे जब तक उनकी मांगें पूरी न हो जाएं.

इसके बाद गृहमंत्री पी चिदंबरम के आदेश पर दिल्ली पुलिस ने रात करीब 12 बजे रामलीला मैदान में सीधा एक्शन लिया. जबरन लाठीचार्ज कर मैदान को खाली कराया गया. इस भगदड़ में बाबा की एक भक्त राजबाला गंभीर रूप से घायल हो गई जिसने लंबे इलाज के बाद दम तोड़ दिया. खुद रामदेव वहां से गायब हो गए और दूसरे दिन चैनलों पर उनकी फुटेज जब सामने आई तो वे उत्तराखंड में नजर आए. बाबा ने उस समय महिलाओं का सलवार-सूट पहन रखा था. रामदेव इसी वेश में मीडिया के सामने आए और उन्होंने यूपीए सरकार के खिलाफ बिगुल फूंक दिया. उन्होंने आरोप लगाया कि रामलीला मैदान में उनकी हत्या की साजिश रची गई थी. रामदेव ने इसके बाद अस्पताल में ही अपना अनशन जारी रखा जिसे बाद में साधु-संतों ने तुड़वाया.

उसके बाद रामदेव और उनके सहयोगी बालकृष्ण के खिलाफ कई केस में लाद दिए गए. बालकृष्ण की नागरिकता, पतंजलि के उत्पादों की गुणवत्ता पर सवाल उठे. बाबा के लापता गुरु की तलाश के नाम पर भी उनपर शिकंजा कसने की कोशिश की गई लेकिन रामदेव ने वो मुश्किल दौर सफलतापूर्वक काट लिया.

2014 में मोदी का किया था प्रचार
2013 में जब बीजेपी ने नरेंद्र मोदी को अपना प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया तो रामदेव ने खुले तौर पर उनका समर्थन किया. बीजेपी की ओर से काले धन को वापस लाने और भ्रष्टाचार मुक्त सरकार का वादा मिलने पर रामदेव ने पूरे देश में उनके समर्थन में प्रचार भी किया. इस दौरान रामदेव ने पूरे देश का दौरा किया.

सरकार के खिलाफ नहीं दिया बयान
2014 के बाद से ही जब से नरेंद्र मोदी ने केंद्र की सत्ता संभाली तभी से रामदेव ने सरकार के खिलाफ कोई बयानबाजी नहीं की. हालांकि, बीच में कई बार उन्होंने ज्वलित मुद्दों पर अपनी टिप्पणी जरूर की. लेकिन उसमें में सरकार के खिलाफ कोई बयान नहीं दिया. कालाधन, विकास, भ्रष्टाचार के मुद्दे पर रामदेव हमेशा मोदी सरकार के साथ ही खड़े दिखे.

योगगुरु से मार्केट गुरु रामदेव
2014 के बाद से ही रामदेव ने अपने पतंजलि ब्रांड का विस्तार शुरू कर दिया. पिछले 4 साल में पतंजलि का टर्नओवर हजारों करोड़ तक पहुंचा. आज इसकी पहुंच देश के लगभग हर घर में है. एफएमसीजी प्रोडक्ट से लेकर अन्य जरूरत के सामान में हर जगह अब पतंजलि की उपस्थिति है. हाल ही में उन्होंने अपना सिम भी लॉन्च किया है. 

अब शाह ने 2019 के लिए मांगा समर्थन
अब करीब 7 साल बाद जब देश एक ओर लोकसभा चुनाव के करीब खड़ा है. तो फिर उसी 4 जून को रामदेव ने सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात की है. अमित शाह ने 2014 में बनी नरेंद्र मोदी सरकार के चार साल पूरे होने पर अपने कामकाज का ब्योरा सौंपा. अमित शाह ने कहा कि 2014 में रामदेव ने हमारा समर्थन किया था, अब हम उन्हें अपना हिसाब देने आए हैं. उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि 2019 में भी योगगुरु रामदेव हमारा समर्थन करेंगे. 

2019 में भी फर्क डालेंगे रामदेव?
अब जब 2019 का चुनाव सिर पर है तो रामदेव एक बार फिर केंद्र में है. रामदेव के देश में करोड़ों अनुयायी हैं, योग के दम पर रामदेव ने घर-घर में पहचान बनाई है, इसके बाद अब पतंजलि प्रोड्क्ट के दम पर भी रामदेव हर घर में पहुंचे हैं. ऐसे में देखना होगा कि क्या रामदेव एक बार फिर खुले तौर पर बीजेपी का समर्थन करेंगे और चुनाव पर कितना असर डाल पाएंगे.

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