केंद्र के रेरा के बाद भी ममता सरकार ने लागू किया अपना रियल एस्टेट ऐक्ट

कोलकाता
केंद्र सरकार ने निर्माणाधीन और नए रियल एस्टेट प्रॉजेक्ट्स पर नियंत्रण के लिए रियल एस्टेट रेग्युलेशन ऐंड डिवेलपमेंट ऐक्ट बनाया था। इसके जरिए होमबायर्स की समस्याओं का समाधान की बात की जा रही है, लेकिन पश्चिम बंगाल में इस ऐक्ट को करारा झटका लगा है। बंगाल सरकार ने रियल एस्टेट सेक्टर के लिए अपना अलग कानून तैयार किया है और उसका नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है। केंद्र की ओर से बीते साल लागू किए गए रेरा कानून में भी राज्य सरकारों को अपनी ओर से इसमें कुछ बदलाव करने की शक्ति दी गई है।

फ्लैट बायर्स के लिए काम करने वाले सिटिजंस ग्रुप फोरम फॉर पीपपल्स कलेक्टिव अफर्ट्स के अभय उपाध्याय ने कहा, 'यह हमारे लिए आश्चर्य की बात है कि आखिर पश्चिम बंगाल को अपना नया कानून लाने की क्या जरूरत थी। पश्चिम बंगाल हाउसिंग इंडस्ट्री रेग्युलेशन ऐक्ट के जरिए डिवेलपर्स को मदद करने की तैयारी है। अन्य सभी राज्यों ने रेरा को स्वीकार किया है। रेरा को कई संसदीय समितियों की ओर से स्क्रूटनी किए जाने और यहां तक कि बॉम्बे हाई कोर्ट की ओर से भी इसे बनाए रखने का फैसल दिया गया था। इसके बाद ही तमाम राज्यों ने रेरा को स्वीकार किया है।'

हाउसिंग मिनिस्ट्री के सूत्रों का कहना है कि पश्चिम बंगाल सरकार के कानून को अभी राष्ट्रपति की मंजूरी की जरूरत होगी। इसकी वजह यह है कि ऐसे ही मामलों से निपटने के लिए केंद्र सरकार की ओर से लागू ऐक्ट अस्तित्व में है। संविधान के सेक्शन 254 में भी स्पष्ट रूप से कहा गया है कि यदि किसी मसले पर राज्य सरकार का ऐक्ट केंद्रीय कानून से समानता रखता है तो ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार की ओर से लागू नियम ही माना जाएगा।

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