‘कोई घूस मांगे तो घूंसा दो तब भी न सुने तो जूता दो’: बीजेपी विधायक

बलिया 
उत्तर प्रदेश में बलिया जिले के बैरिया से बीजेपी विधायक सुरेन्द्र सिंह ने मंगलवार को एक कार्यक्रम के दौरान लोगों को विवादास्पद सलाह दे डाली। विधायक ने कहा कि कोई घूस मांगे तो घूंसा दो और फिर भी नहींं माने तो उसे जूता दो। विधायक के इस बयान को लेकर अब तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं भी सामने आ रही हैं।  

दरअसल, जिले में संपूर्ण समाधान दिवस के मौके पर पहुंचे विधायक ने पहले तो यहां अधिकारियों और कर्मचारियों पर जमकर भड़ास निकाली। इसके बाद यहां मौजूद लोगों से बोले, 'कोई भी कर्मचारी या अधिकारी आपसे रिश्वत मांगता है तो उसकी आवाज को रिकॉर्ड कर लें और मेरे सामने प्रस्तुत करें।' विधायक यहीं नहीं रुके, उन्होंने आगे कहा, 'कोई घूस मांगे तो घूंसा दो, तब भी नहीं माने तो जूता दो।' 

बीजेपी विधायक का यह तेवर तब सामने आया है जब उनके भतीजे ने कानूनगो के साथ मारपीट की, जिसके खिलाफ राजस्व कर्मचारियों ने मुकदमा दर्ज कराया है। भतीजे के खिलाफ कार्रवाई से खफा बीजेपी विधायक ने कहा, 'तहसील की हालत वेश्यालय से भी बदतर हो गई है। मैं विधायक रहूं या न रहूं लेकिन तहसील पर रिश्वतखोर अधिकारियों व कर्मचारियों को नहीं रहने दूंगा।' उन्होंने कहा कि तहसील में अधिकारी व कर्मचारी मर्यादा भंग करके काम करेंगे तो मर्यादा भंग होगी। विधायक ने यहां तक चेतावनी दे डाली कि अभी तो कार्यकर्ता मर्यादा भंग कर रहे हैं, अगर तब भी रिश्वतखोर नहीं सुधरे तो विधायक होते हुए मैं खुद मर्यादा भंग करूंगा। 

बीजेपी विधायक ने कहा, 'मेरा राजनीतिक जन्म चूड़ी पहनकर नहीं, हथकड़ी पहनकर हुआ है। द्वाबा की जनता के हित व कार्यकर्ताओं के लिए मैं कुछ भी त्याग कर सकता हूं।' इसके बाद विधायक सुरेन्द्र सिंह ने सम्पूर्ण समाधान दिवस के मौके पर पहुंचकर उपजिलाधिकारी अनिल कुमार चतुर्वेदी, क्षेत्राधिकारी बैरिया उमेश कुमार व तहसीलदार दूधनाथ राम से कहा कि विरासत, खेतों की पैमाइश में 10 हजार से 15 हजार तक रिश्वत ली जा रही है, यह बन्द होना चाहिए। 

राजस्वकर्मियों का कार्य बहिष्कार जारी 
बीजेपी विधायक तहसील में पहुंचकर जब अफसरों व कर्मचारियों को रिश्वतखोरी का पाठ पढ़ा रहे थे, उस वक्त उनके भतीजे की दबंगई के खिलाफ सम्पूर्ण समाधान दिवस में राजस्व निरीक्षक व लेखपालों का कार्य बहिष्कार जारी रहा। इसके चलते सम्पूर्ण समाधान दिवस पर भूमि विवाद के मामलों में अधिकारियों को काफी परेशानी हुई। लेखपाल, कानूनगो से सम्बंधित कार्यों के लिए आए आम लोगों को मायूस होकर वापस लौटना पड़ा। 

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