पाकिस्तान में लोकतंत्र खतरे में, चुनाव से पहले सेना का दखल?
इस्लामाबाद
पाकिस्तान में 25 जुलाई को आम चुनाव होने जा रहे हैं। देश के लिए यह ऐतिहासिक इवेंट है क्योंकि यह केवल दूसरी बार है जब लोकतांत्रिक तरीके से सत्ता का हस्तांतरण होगा। ऐसे समय में जब सियासत में सेना के दखल के गंभीर आरोप लग रहे हैं तो यह चुनाव और भी अहम हो जाता है। यही वजह है कि लोकतंत्र का टेस्ट माने जा रहे पाक के इस चुनाव पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हुई हैं।
पिछले शुक्रवार को सत्तारूढ़ पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N) पार्टी ने पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद कार्यवाहक सरकार को सत्ता सौंप दी। यह भी लोकतंत्र के लिए मील का पत्थर है। हालांकि जैसे-जैसे चुनाव प्रचार शुरू हुआ है, नेताओं और शक्तिशाली सेना के बीच तनाव भी बढ़ता जा रहा है। आपको बता दें कि बंटवारे के बाद से पाकिस्तान पर आधे से ज्यादा समय तक सेना का ही शासन रहा है।
PML-N के 4 सांसदों ने बताया कि उन पर दबाव है और धमकियां मिल रही हैं कि वह अपनी विरोधी पार्टियों के खेमे में चले जाएं, जबकि अखबार सेना के दखल के आरोपों से भरे पड़े हैं। पत्रकारों और मीडिया समूहों का कहना है कि सेंसरशिप बढ़ गई है। पीएमएल-एन के मंत्री रहे दानियाल अजीज ने कोड वर्ड में समझाया कि कैसे जनरल चुनाव में दखल दे रहे हैं। उन्होंने कहा, 'यह सब पीछे के रास्ते, छिपकर और रेडार से नीचे हो रहा है।'
आर्थिक अस्थिरता के बीच एक और संकट
हालांकि पाक आर्मी साफ तौर पर राजनीति में हस्तक्षेप से इनकार करती रही है। ऐसे आरोपों पर पूछे गए सवालों का सेना ने जवाब नहीं दिया है। 20.8 करोड़ की आबादी वाले परमाणु संपन्न पाकिस्तान में यह राजनीतिक तनाव ऐसे समय में बढ़ रहा है जब देश आर्थिक अस्थिरता की तरफ बढ़ता दिख रहा है। इस्लामाबाद का मुद्रा भंडार तेजी से गिर रहा है और उसका चालू वित्तीय घाटा बढ़ने से विश्लेषकों को लगने लगा है कि अगली सरकार को दूसरी बार IMF से बेलआउट की जरूरत होगी।
उधर, पीएमएल-एन के संस्थापक नवाज शरीफ भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें पीएम पद के अयोग्य ठहरा दिया था, जिसके बाद उन्हें पद छोड़ना पड़ा। उन्होंने इस पर कहा है कि चुनाव पूर्व यह धांधली है जिससे हमारी पार्टी को फिर से सत्ता में आने से रोका जा सके। उन्होंने वोट की पवित्रता को बचाए रखने की बात कहते हुए संघर्ष का ऐलान किया है।
नवाज को इमरान से चुनौती
PML-N को सबसे बड़ी चुनौती पाकिस्तान-तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के नेता इमरान खान से मिल रही है, जो भ्रष्टाचार को बड़ा मुद्दा बना रहे हैं। खान ने इस बात से इनकार किया है कि सेना के जनरलों ने PTI को सपॉर्ट किया। उन्होंने कहा कि ऐसे आरोप लगाकर शरीफ जवाबदेही से बचना चाहते हैं। हालांकि विश्लेषकों और पश्चिमी राजनयिकों का कहना है कि चुनावों से पहले सेना PML-N पर दबाव बना रही है।
क्या कहते हैं जानकार?
पेशावर विश्वविद्यालय के इंटरनैशनल रिलेशंस प्रफेसर (रिटायर्ड) एजाज खान ने कहा, 'इस तरह का दखल हमेशा से रहा है लेकिन इस बार यह काफी खुलेतौर पर है जो सबको दिख रहा है और हर कोई इसके बारे में चर्चा कर रहा है।' आपको बता दें कि पाकिस्तान के सबसे बड़े टीवी चैनल जियो को अप्रैल में कई हफ्तों के लिए ऑफ एयर कर दिया गया। चैनल दोबारा तभी शुरू हुआ जब इसके अधिकारियों ने शरीफ के कवरेज को लेकर सेना के साथ एक डील फाइनल की। इसी तरह की कार्रवाई पाक अखबार डॉन को भी झेलनी पड़ी। कई शहरों में उसे सैन्य छावनी के इलाकों से सस्पेंड कर दिया गया।
अजनबी आकर धमकाते हैं…
शरीफ लगातार आरोप लगा रहे हैं कि पीएमएल-एन के सांसदों को धमकाया जा रहा है। गौरतलब है कि 1999 में सेना ने तख्तापलट कर उनसे सत्ता छीन ली थी। पंजाब प्रांत से पार्टी के 4 सांसदों ने बताया कि कई अपरिचित लोगों के फोन आ रहे हैं और अजनबी लोग आकर चेतावनी दे रहे हैं कि वह शरीफ से अलग हो जाएं, यही उनके हित में होगा। एक वाकये का जिक्र करते हुए एक सांसद ने कहा, 'एक शख्स आया और बोला कि आपका बॉस गद्दार है और गद्दारों के लिए देश में कोई जगह नहीं है।'