‘वर्क फ्रॉम होम’ से शुरू हुआ था लिज्जत पापड़ का सफर
मुंबई
हम और आप जिस लिज्जत पापड़ को बहुत शौक से खाते हैं। उसके बनने के कहानी बहुत ही दिलचस्प है। क्या आप जानते हैं कि इस पापड़ को बनाने की शुरुआत कुछ महिलाओं के ग्रुप ने किया था, जो बाद में पूरे देश में पूरे देश में इस कहर प्रसिद्ध हो गया।दरअसल कोरोना वायरस महामारी आने के काफी पहले से ही लिज्जत पापड़ बनाने वाली महिलाएं घर से काम कर रही थीं। इसकी शुरुआत कुछ ऐसे हुई कि लगभग 62 साल पहले जसवंतीबेन पोपट और छह स्थानीय महिलाएं मुंबई के गिरगांव में एक छत पर इकट्ठा हुईं और कैसे अपने परिवार की आय बढ़ाई जा सकती हैं, इस पर विचार करने लगीं। वे सभी महिलाएं थोड़ी बहुत ही पढ़ी-लिखी थीं, लेकिन वो ये जानती थीं कि किसी घर को कैसे चलाया जाता है। यहीं इन महिलाओं ने साथ मिलकर पापड़ बनाने का काम शुरु करने का फैसला किया।
इन सभी महिलाओं में से हर एक महिला पापड़ बनाने से जुड़ा एक-एक सामान (जैसे- उड़द दाल का आटा, काली मिर्च, हींग, मसाला) खरीदती और पापड़ बनाने में जुट जातीं। इस तरह से उन्होंने पापड़ बनाने का काम शुरु कर दिया और एक टीम बनाकर अपने आस-पड़ोस में ही इसे बेचने लगीं। पहली बार में उन्होंने इसके कुल चार पैकेट बेचे और 8 आने यानि 50 पैसे की कमाई की। इसके अगले दिन उन्होंने दोगुना पापड़ बनाए और पहले दिन से दो गुना अधिक कमाई भी की। वो सभी महिलाएं रोज के मुनाफे को आपस में बराबर-बराबर बांट लिया करती थीं।
जल्द ही उनसे और भी महिलाएं जुड़ने लगीं और अगले तीन महीनों में, कम से कम 200 महिलाएं पापड़ बनाने का काम करने लगीं।उन्होंने पूरे शहर में इसके कई ब्रांच बना दिए और बाद में दूसरे राज्यों में इसका विस्तार किया। इतना ही उन्होंने युवा महिलाओं को भी इससे जोड़ा, उन्हें नौकरियां दी और पापड़ बनाने की ट्रेनिंग भी दी। छह साल बाद उन्होंने इसे एक कंपनी के रुप में रजिस्टर करवा लिया।
आज श्री महिला गृह उद्योग लिज्जत पापड़ भारत की सबसे पुरानी महिला सहकारी समिति है और यह 17 राज्यों में 45,000 महिलाओं को रोजगार भी देता है। अब यह 1,600 करोड़ रुपये की एक कंपनी है, जो सालाना 400 करोड़ से अधिक पापड़ के अलावा हाथ से बनी चपातियां, मसाले और डिटर्जेंट पाउडर बेचती है। यह अभी भी बिना किसी औपचारिक कौशल वाली महिलाओं को रोजगार प्रदान करता है और मुनाफे को उनसे साझा करता है। यह तकनीकी रूप से भी लगातार आगे बढ़ा है। इसे शुरु करने वाली जसवंतीबेन पोपट जो अब 91 साल की है, उन्हें इस साल पद्म श्री से सम्मानित भी किया गया था। लिज्जत पापड़ की सफलता की कहानी अब जल्दी ही आशुतोष गोवारिकर द्वारा निर्देशित एक फिल्म के जरिए सभी के बीच आने को तैयार है।