बिहार में नीतीश कुमार के बगैर एनडीए कुछ भी नहीं: अशोक चौधरी

पटना
बिहार में लोकसभा सीटों को लेकर जेडी (यू) के दबाव और एनडीए के सहयोगी दलों की ओर से आयोजित डिनर में राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के नेता उपेंद्र कुशवाहा की गैरमौजूदगी से शुरू हुई खींचतान सीएम नीतीश कुमार की कोशिश के बाद भी रुकने का नाम नहीं ले रही। सत्तारूढ़ एनडीए के घटक दलों के बीच सीटों और चेहरे को लेकर बयानबाजी करने वालों में एक नया नाम जुड़ गया है। मंगलवार को जेडीयू नेता अशोक चौधरी ने कहा कि बिहार में नीतीश कुमार के बगैर एनडीए कुछ भी नहीं है। 

कांग्रेस छोड़कर जेडीयू में शामिल हुए अशोक चौधरी ने पटना में मीडिया के बातचीत में कहा कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में इस प्रदेश में अगर अगला लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा गया तो एनडीए को नुकसान होगा। चौधरी ने कहा कि यह प्रश्न कहां उठता है कि नीतीश को एनडीए के चेहरे के तौर पर बिहार में पेश किया जाए या नहीं, बल्कि हकीकत यह है कि एनडीए को उनका नेतृत्व स्वीकार करना पड़ेगा क्योंकि बिहार में गठबंधन में कोई ऐसा नेता नहीं जो कि उनकी तरह सभी को स्वीकार्य हो। 

अशोक चौधरी ने कहा कि अगर नीतीश जी को दूसरा स्थान दिया जाता है तो यह वैसा ही होगा कि अपने सबसे अच्छे बल्लेबाज को 12वें खिलाड़ी के स्थान पर रहने को कहा जाए और पारी की शुरुआत करने के लिए कम अनुभवी खिलाड़ी पर विश्वास किया जाए। उन्होंने कहा कि अगर नीतीश को बिहार में एनडीए के चेहरे के तौर पर नहीं पेश किया गया तो गठबंधन को नुकसान उठाना पड़ेगा और इसका अंदाजा हम पिछले बिहार विधानसभा चुनाव से लगा सकते हैं। 

चौधरी की इस टिप्पणी पर बीजेपी के वरिष्ठ नेता और प्रदेश के कृषि मंत्री प्रेम कुमार ने कहा कि अगला लोकसभा चुनाव नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लड़ा जाएगा और इसको लेकर कोई विवाद नहीं। वहीं नीतीश कुमार ने एक समारोह में एनडीए के साथ पार्टी के किसी भी तरह के मनमुटाव की बात नकारते हुए कहा था कि चुनाव से संबंधित मुद्दों को चुनाव से पहले ही सुलझा लिया जाएगा। इस कार्यक्रम में बिहार के उपमुख्यमंत्री और बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी भी मौजूद थे। 

बता दें कि जोकीहाट उपचुनाव के बाद से बिहार एनडीए के घटक दलों में नेतृत्व के चेहरे और सीटों को लेकर टकराव चल रहा है। जेडीयू राज्य में खुद को ‘बड़े भाई’ के रूप में पेश कर बीजेपी पर दबाव बना रही है। 2014 के आम चुनाव के समय से बीजेपी के साथ रही आरएलएसपी ने नीतीश कुमार को अपना नेता मानने से ही इनकार कर दिया है। वहीं, एनडीए की डिनर पार्टी में उपेंद्र कुशवाहा के शामिल न होने से राजनीतिक गलियारों में अटकलों का बाजार गर्म है, जिसे नीतीश ने मंगलवार को खत्म करने की कोशिश की थी।

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