जम्मू और देश के बाकी हिस्सों में वोट संभालने के लिए BJP ने तोड़ा PDP का साथ!

 नई दिल्ली 
बीजेपी ने जम्मू-कश्मीर में महबूबा मुफ्ती की पीडीपी सरकार से अचानक समर्थन वापस लेने का जो फैसला किया है, उसकी वजह राज्य की राजनीति नहीं, बल्कि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले देश के बाकी हिस्सों में अपना वोट बेस संभालने की सोच है। जम्मू-कश्मीर में पत्थरबाजों, अलगाववादियों, पाकिस्तान और कई अन्य मुद्दों को निपटने के तौर-तरीकों पर पीडीपी के साथ हो रहे गंभीर मतभेदों को लेकर बीजेपी रोज-रोज की किचकिच से परेशान थी। वहीं राज्यपाल एनएन वोहरा की सिफारिश के बाद राष्ट्रपति ने राज्य में गवर्नर रूल को मंजूरी दे दी है। 
 
बीजेपी कश्मीर घाटी में आतंकवाद से निपटने के लिए कठोर रुख अपनाना चाहती थी। मंगलवार का घटनाक्रम भले ही सबके लिए चौंकाने वाला रहा हो, लेकिन ऐसा लगता है कि बीजेपी आनेवाले महीनों में राज्य के लिए क्लीयर रोडमैप के साथ लैस है। गवर्नर एनएन वोरा जम्मू कश्मीर में राज्यपाल शासन लगाने की सिफारिश कर चुके हैं। 

सूत्रों ने बताया कि वोरा का कार्यकाल इसी महीने खत्म हो रहा है, लेकिन उन्हें अगस्त में रक्षाबंधन के आस-पास अमरनाथ यात्रा के समापन तक पद पर बने रहने के लिए कहा जा सकता है। केंद्र ने गवर्नर रूल के दौरान प्रशासन में वोरा की मदद के लिए ब्यूरोक्रेट्स और एडवाइजर्स की टीम बनाने की प्रक्रिया पहले ही शुरू कर चुकी है। 

पत्थरबाजों पर नरम रुख चाहती थींं महबूबा 
केंद्र के वार्ताकार दिनेश्वर सिंह पहले से ही श्रीनगर में हैं जबकि यूनियन होम मिनिस्ट्री के अफसरों की टीम को वहां भेजा जा रहा है। सूत्रों ने बताया कि वोहरा की जगह जम्मू-कश्मीर के नए राज्यपाल की पोस्ट के लिए संभावित उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्ट किया जा रहा है। पीडीपी का सपोर्ट बेस घाटी में है, इसलिए महबूबा मुफ्ती चाहती थीं कि पत्थरबाजों और दूसरे मसलों से निपटने में नरम रुख अपनाया जाए। 

सरकारी सूत्रों ने बताया कि केंद्र ने सेना की कार्रवाई पर लगी रोक हटाए जाने के बाद रविवार से घाटी ही नहीं सीमावर्ती इलाकों में भी आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी थी। सेना की कार्रवाई आनेवाले दिनों में तेज की जाएगी। पीडीपी के साथ गठबंधन टूटने की खबर जम्मू के उन बीजेपी कैडर्स के लिए खुशी वाली बात है जो 2015 में गठबंधन बनने के वक्त से गुस्से में थे। 

बीजेपी समर्थकों को राष्ट्रवाद की अतिरिक्त खुराक 
बीजेपी लीडर्स का कहना है कि फंड के बंटवारे और गवर्नेंस के दूसरे मामलों में जम्मू और लद्दाख क्षेत्र के साथ सौतेला व्यवहार हो रहा था। देशभर के बीजेपी काडर के लिए जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक घटनाक्रम के खास मायने हैं। बीजेपी और पीडीपी विचारधारा के मोर्चे पर एक दूसरे से एकदम अलग हैं। गठबंधन टूटने और सेना की कार्रवाई तेज होने से पार्टी समर्थकों को राष्ट्रवाद की अतिरिक्त खुराक मिलने की संभावना है। 

इससे अगले साल के लोकसभा चुनाव सहित आगामी विधानसभा चुनावों में बीजेपी को बड़ा फायदा हो सकता है। बीजेपी की वैचारिक संरक्षक आरएसएस भी कश्मीर में पीडीपी से गठबंधन तोड़ने और सख्ती करने के पक्ष में थी। बीजेपी इस मसले से निपटने के तौर-तरीकों को स्थानीय और अंतराष्ट्रीय मंच पर सही तरीके से पेश करने की पूरी कोशिश की है। 

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