प्रदेश के वन क्षेत्रों और वनवासियों की बदल रही तस्वीर

रायपुर
वन मंत्री श्री महेश गागड़ा ने आज यहां बताया कि छत्तीसगढ़ में कैम्पा निधि से अब तक एक हजार 49 करोड़ 24 लाख रुपए से वनों के विकास संबंधी अनेक कार्य किए गए हैं। वनों के विकास के साथ-साथ इस क्षेत्र में रहने वाले वनवासियों के जीवन स्तर बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण कार्य किए जा रहे हैं। इस राशि से विगत एक दशक में जहां 26 हजार 505 हेक्टेयर रकबे में क्षतिपूर्ति वनीकरण के तहत सघन वृक्षारोपण करवाया गया है, वहीं पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से लगभग 23 हजार हेक्टेयर में बहुमूल्य प्रजातियों के वृक्ष लगवाए गए हैं।
    उन्होंने बताया कि इससे राज्य के वनों और वनवासियों के जीवन की तस्वीर बदल रही है। जंगलों के नजदीक रहने वाले ग्रामीण परिवारों की बेहतरी के लिए कैम्पा निधि से कई कार्य करवाए जा रहे हैं, जिनमें  सौर सुजला योजना के तहत खेतों में सोलर सिंचाई पम्पों की स्थापना, प्रधानमंत्री उज्ज्वल योजना के तहत वनवासी परिवारों को रसोई गैस कनेक्शन, विशेष पिछड़ी जनजातियों को कंबल वितरण आदि से संबंधित कार्य शामिल हैं। श्री गागड़ा ने बताया कि प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत राज्य कैम्पा  निधि से वन क्षेत्रों के लगभग 3 लाख 90 हजार गरीब परिवारों को महिलाओं के नाम पर रसोई गैस कनेक्शन  भी दिए जा चुके हैं।
    वन मंत्री श्री गागड़ा ने बताया कि राज्य सरकार को कैम्पा निधि योजना के अंतर्गत भारत सरकार से अब तक एक हजार 293 करोड़ रुपए विकास कार्याें के लिए प्राप्त हुए हैं। खनन गतिविधियों से हुए वनों के नुकसान की भरपाई के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार कैम्पा फण्ड का निर्माण भारत सरकार द्वारा किया गया है। श्री गागड़ा कैम्पा निधि के कार्याें की लगातार समीक्षा भी कर रहे हैैैैं।    उन्होंने बताया कि क्षतिपूर्ति वनीकरण के लिए कैम्पा निधि से 26 हजार 505 हेक्टेयर क्षेत्र में रोपण का कार्य किया गया है। इस कार्य में लगभग 245 करोड़ रुपए की लागत आई है। उन्होंने बताया कि इस साल 4 हजार हेक्टेयर में पौधरोपण किया जाएगा। कैम्पा निधि से वनों की उत्पादकता बढ़ाने संबंधी कार्य भी किए गए हैं। लगभग 189 करोड़ रुपए लगाकर दो लाख हेक्टेयर क्षेत्र में प्राकृतिक पुनरूत्पादन के जरिए उत्पादकता बढ़ाई गई है। इसके साथ ही पर्यावरण सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए 22 हजार 911 हेक्टेयर क्षेत्र में बहुमूल्य प्रजातियों के वृक्षारोपण कार्य कराए गए हैं।
         श्री गागड़ा ने बताया – जंगलों को आग से बचाने के लिए कैम्पा मद का उपयोग कर एक हजार 800 से ज्यादा वन प्रहरी नियुक्त किए गए। आमतौर पर 15 फरवरी से 14 जून तक जंगलों मंे आग लगने का खतरा बना रहता है। वन प्रहरियों की मदद से जंगलों को आग से सुरक्षित रखने का प्रयास सफल हुआ है। इसी प्रकार 222 परिक्षेत्र स्तरीय, 32 वन मण्डल स्तरीय, 6 सर्किल स्तरीय तथा एक राज्य स्तरीय स्ट्राईक फोर्स का गठन कर वन क्षेत्रों में सघन गश्ती का कार्य कराया जा रहा है। इसके साथ ही वनों में निवास करने वाले वन्यप्राणियों की सुरक्षा के लिए 36 स्ट्राईक  फार्स भी नियमित रूप से गश्त में लगे हुए हैं।
     वन मंत्री ने यह भी बताया कि वनों से विलुप्त हो रहे जंगली पेड़-पौधों को बचाने का काम भी कैम्पा निधि से किए जा रहे हैं। कैम्पा निधि से 5 हजार 142 हेक्टेयर में विशेष प्रजाति के पौधों के रोपण का कार्य किया गया है। खासकर हल्दू, मुण्डी, बीजा, साल, शीशम, कुल्लू, सलिहा आदि प्रजातियों के पौधों का रोपण शुरू किया गया है। लगभग 32 लाख रुपए की लागत इस कार्य में आई है। ऑक्सी-वन योजना भी शहरी इलाकों में कैम्पा निधि से चलाई जा रही है। लगभग 20 करोड़ रुपए की लागत से विभिन्न शहरों में 1 हजार 186 हेक्टेयर क्षेत्रों में ऑक्सी-वन बनाने का कार्य किया गया है। इसके साथ ही पांच शहरों-कोरबा, बिलासपुर, बालोद, सरगुजा एवं कोरिया में 3 करोड़ 27 लाख की लागत से 358 हेक्टेयर नगर वन स्थापित किए गए हैं।
    श्री गागड़ा ने बताया  कि प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के अंतर्गत एलपीजी कनेक्शन प्रदान करने के लिए कैम्पा फण्ड से साढ़े 47 लाख रुपए स्वीकृत किए गए हैं। इन प्रयासों से जहां एक ओर जलाऊ लकड़ी की खपत में कमी आएगी वहीं लकड़ी के धुएं से महिलाओं के स्वास्थ्य पर होने वाले प्रतिकूल प्रभाव से बचा जा सकेगा। बस्तर इलाके में सौर सुजला योजना के अंतर्गत 835 आदिवासी किसानोे के खेतांे में सोलर पम्प की स्थापना के लिए भी राशि प्रदान की गई है। लगभग 34 करोड़ 70 लाख रुपए की राशि से बिजली सुविधा विहीन किसानों के खेतों में सिंचाई सुविधा मुहैया हो पाई है। स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए 22 सोलर वाटर पम्प भी बिजली सुविधा विहीन गांव मंे स्थापित किए गए हैं। राज्य के सुदूर वनक्षेत्रों में निवास रने वाले पिछड़ी जनजातीय परिवारों को दो-दो कम्बल भी कैम्पा निधि से दिए जा रहे हैं। अब तक एक लाख 12 हजार से ज्यादा कम्बलों का वितरण किया जा चुका है।

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