आधार वर्ष में बदलाव से न्यूनतम वेतन के निर्धारण में मदद मिलेगी

नई दिल्ली

सरकार ने आधार वर्ष 2016 के साथ मजदूरी दर सूचकांक (डब्ल्यूआरआई) की एक नई शृंखला जारी की है। श्रम मंत्रालय का कहना है कि आधार वर्ष 2016 के साथ डब्ल्यूआरआई की नई शृंखला 1963-65 के आधार वर्ष की पुरानी की जगह लेगी। इसमें कई बदलाव किए गए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि नई सीरीज से न्यूनतम वेतन के निर्धारण में मदद मिलेगी।

श्रम मंत्रालय का कहना है कि सरकार समय-समय पर प्रमुख आर्थिक संकेतकों के लिए आधार वर्ष में संशोधन करती है ताकि अर्थव्यवस्था में आने वाले बदलाव को प्रतिबिंबित किया जा सके और श्रमिकों के वेतन प्रतिरूप को शामिल किया जाए। इसीलिए अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ), राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग आदि की सिफारिशों के अनुसार, दायरा बढ़ाने और सूचकांक को ज्यादा बेहतर बनाने के लिए श्रम ब्यूरो ने मजदूरी दर सूचकांक के आधार वर्ष में बदलाव किया है। इसका संकलन और रखरखाव मंत्रालय का संबद्ध कार्यालय श्रम ब्यूरो कर रहा है।

नए बदलावों में क्या है शामिल

    मैन्यूफेक्चरिंग का वेटेज लगभग (48 से 82) दोगुना किया
    माइनिंग (17 से 11) और प्लांटेशन (34 से 6) का वेटेज घटाया
    इंडस्ट्री 21 से बढ़ाकर 37 की,
    16 नई इंडस्ट्री शामिल की गईं, जिनमें सिंथेटिक फाइबर, पब्लिशिंग, फुटवियर, पेट्रोलियम, ड्रग मेडिसिन शामिल किए गए हैं
    इसमें 30 इंटस्ट्री मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की रहेंगी बाकी तीन-तीन माइनिंग और प्लांटेशन से

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