2014 की स्थिति के आधार पर चुनाव, घोषणा के बाद दावेदार सक्रिय

भोपाल
राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा पंचायत चुनावों का ऐलान किए जाने के बाद अब पंच सरपंच से लेकर जिला पंचायत अध्यक्ष पद तक की दावेदारी करने वाले ग्रामीण नेता सक्रिय हो गए हैं। तारीख घोषणा के बाद अब ये नेता पंच से लेकर जिला पंचायत सदस्य तक के लिए आरक्षण की स्थिति तलाश रहे हैं ताकि पहले चरण में 13 दिसम्बर से होने वाले नामांकन दाखिले की प्रक्रिया में शामिल हो सकें। इनके समक्ष सबसे अधिक ऊहापोह की स्थिति इस बात को लेकर है कि आरक्षण 2014 की स्थिति में लागू है या नहीं, इस पर तात्कालिक भरोसा नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में जिला व जनपद पंचायतों के  दफ्तरों से संपर्क का दौर शुरू हो गया है। सात साल पुरानी व्यवस्था को लेकर ग्रामीण नेताओं में आक्रोश भी है।

पंचायत राज संचालनालय द्वारा जिला पंचायत के अध्यक्ष पद के लिए आरक्षण 14 दिसम्बर को किया जाना है। इस बीच सभी 52 जिलों के 859 जिला पंचायत सदस्यों, 313 जनपद पंचायतों के 6727 जनपद सदस्यों, 22581 सरपंचों और 3 लाख 62 हजार 754 पंचों के चुनाव को लेकर आरक्षण पर सबसे अधिक दावेदार हैं और इनके द्वारा अपने वार्ड और पंचायत की आरक्षण की स्थिति को लेकर अब जानकारी जुटाने का दौर शुरू हो गया है। दरअसल इसकी वजह कमलनाथ सरकार में कराए गए परिसीमन के चलते वार्डों के आरक्षण की स्थिति में होने वाली बदलाव की स्थिति थी जिसे राज्य शासन ने अध्यादेश क्रमांक 14 21 नवम्बर 2021 के द्वारा मध्यप्रदेश पंचायत राज और ग्राम स्वराज (संशोधन) के जरिये धारा 9 क का अंत:स्थापन कर निरस्त कर दिया है। इसलिए अब 2014 की स्थिति के आधार पर ही चुनाव होने हैं लेकिन यह स्थिति ग्रामीण नेताओं के बीच साफ नहीं है। ऐसे में पंचायत चुनाव के लिए दावेदारी करने वाले नेताओं में सरकार की व्यवस्था को लेकर असंतोष भी है क्योंकि सात सालों में आबादी बढ़ने के बाद भी नए नेताओं को आरक्षण की नवीन स्थिति के आधार पर नेतागिरी का मौका नहीं मिल सकेगा।

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