अमेरिका से प्रतिबंध की आशंका के बावजूद रूस से S-400 मिसाइल सिस्टम खरीदेगा भारत

नई दिल्ली 
भारत रूस से पांच अत्याधुनिक S-400 ट्रायम्फ एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। अमेरिका से प्रतिबंध के खतरे की आशंकाओं के बावजूद रक्षा मंत्रालय ने लगभग 39 हजार करोड़ रुपये के इस सौदे की राह की अड़चन दूर करने में लगा है।  
 

शीर्ष सूत्रों का कहना है कि रक्षा मंत्री निर्मला सीतरमण की अध्यक्षता वाले रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) ने गुरुवार को इस सौदे से संबंधित 'मामूली परिवर्तनों' को अनुमति दे दी। हाल में ही रूस के साथ संपन्न हुए व्यवसायिक बातचीत के दौरान ये मामूली परिवर्तन सामने आए थे। 

एक शीर्ष सूत्र ने कहा, 'एस-400 की खरीद का मामला अब मंजूरी के लिए वित्त मंत्रालय और प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली रक्षा मामलों की कैबिनेट समिति को भेजा जाएगा। उन्होंने कहा कि देश का शीर्ष राजनीतिक नेतृत्व अब इस मामले पर अंतिम फैसला लेगा। डीएसी की बैठक बुधवार को अमेरिका ने पहली 'टू-प्लस-टू' बैठक रद्द करने के एक दिन बाद हुई। 

यह बैठक भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण व उनके समकक्ष माइक पॉम्पियो और जिम मैटिस के बीच 6 जुलाई को वॉशिंगटन में होनी थी। टाइम्स ऑफ इंडिया ने अक्टूबर 2015 में यह खबर दी थी कि भारत एस-400 ट्रायम्फ एयर डिफेंस सिस्टम हासिल करने की योजना बना रहा है। यह सिस्टम दुश्मन के रणनीतिक जहाजों, जासूसी हवाई जहाजों, मिसाइलों और ड्रोनों को 400 किलोमीटर तक की रेंज और हवा से 30 किलोमीटर ऊपर ही नष्ट कर सकता है। 

इसे भारत के रक्षा जखीरे में गेमचेंजर के रूप में पेश किया गया था। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच अक्टूबर 2016 में गोवा में हुई बैठक में पांच एस-400 सिस्टम खरीदने पर सहमति बनी। इस साल अक्टूबर में मोदी और पुतिन के बीच होने वाली बैठक के आलोक में भारत और रूस इस अनुंबध को अंतिम रूप देने में लगे हैं। इस बीच अमेरिका ने नई दिल्ली को इस डील पर आगे बढ़ने पर आगाह किया है। 

भारत और रूस फिलहाल हालिया अमेरिकी कानून CAATSA (काउंटरिंग अमेरिकाज अडवर्सरीज थ्रू सैंक्संस ऐक्ट) के वित्तीय प्रतिबंधों से बचने का रोडमैप तैयार कर रहे हैं। अमेरिका इस कानून के माध्यम से दूसरे देशों को रूस से हथियार खरीदने से रोकने की कोशिश कर रहा है। टाइम्स ऑफ इंडिया ने यह खबर दी थी कि इस नए नियम की वजह से दिल्ली और मॉस्को 12 अरब डॉलर के मिलिटरी प्रॉजेक्ट अधर में लटक गए हैं। 

रूस से प्रस्तावित डील के तहत फाइनल कॉन्ट्रैक्ट के 24 महीने बाद भारतीय वायुसेना को बैटल मैनजमेंट सिस्टम, रेडार और लॉन्चर वीकल के साथ पहला S-400 विमान मिलेगा। आगे 60 महीनों यानी 5 साल के भीतर भारत को बाकी के S-400 स्क्वॉड्रंस मिल जाएंगे, जिनमें हर में दो फायरिंग यूनिट्स भी होंगी। इसकी मदद से भारत युद्ध के समय में अपने शहरों या महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों जैसे न्यूक्लियर पावर प्लांट्स की सुरक्षा करने में ज्यादा सक्षम हो पाएगा। 
 

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