29 जिलों में उप पंजीयकों की लापरवाही, बाजार मूल्य से 44 करोड़ कम पर रजिस्ट्री

भोपाल
प्रदेश के 29 जिलों में उप पंजीयकों की लापरवाही सामने आई है। 142 करोड़ 21 लाख रुपए की  सम्पत्तियों का पंजीयन इन्होंने गाइडलाइन के अनुसार बाजार मूल्य से कम पर कर दिया।  इससे सरकार को मिलने वाले टैक्स में 3 करोड़ 93 लाख रुपए का नुकसान उठाना पड़ा है।
 
पंजीयन विभाग के आंकड़ों का जब आॅडिट हुआ तो यह खुलासा हुआ। भारतीय मुद्रांक अधिनियम की धारा 47 ए के अंतर्गत यदि पंजीयन अधिकारी किसी दस्तावेज के पंजीयन के समय यह पाता है कि किसी सम्पत्ति का निर्धारित बाजार मूल्य उस बाजार मूल्य से कम है जो बाजार मूल्य गाइड लाइन  में दर्शाया गया है तो उसे ऐसे दस्तावेज के पंजीयन के पहले ऐसी सम्पत्ति के सही बाजार मूल्य और उस पर आरोपणीय शुल्क के निर्धारण के लिए मुद्रांक एवं संग्राहक का संदर्भ देना चाहिए।

 प्रदेश के 33  उप पंजीयक कार्यालयों के 21 हजार 958 पंजीकृत दस्तावेजों की नमूना जांच कराई गई इसमें पाया गया कि 29 उप पंजीयक कार्यालयों के 113 पंजीकृत दस्तावेजों में बाजार मूल्य गाईडलाईन के अनुसार सम्पत्ति का बाजार मूल्य 142 करोड़ 21 लाख रुपए था लेकिन उप पंजीयकों ने इन सम्पत्ति के दस्तावेजों की रजिस्ट्री 98 करोड़ 13 लाख रुपए पर कर दी। इससे सरकार को 3 करोड़ 59 लाख रुपए  के मुद्रांक शुल्क और 34 लाख रुपए के पंजीयन शुल्क का नुकसान उठाना पड़ा है।

 उप पंजीयकों ने इन सभी मामलों में उन सभी तथ्यों पर विचार नहीं किया जो सम्पत्ति के मूल्यांकन को प्रभावित करते है। इसके चलते इन दस्तावेजों की सम्पत्तियों के सही मूल्यांकन और उन पर शुल्क के निर्धारण हेतु जिला पंजीयकों को नहीं बता पाए।

यहां मिली गड़बड़ी
जबलपुर दो,  भोपाल दो,   हरदा, गंजबासौदा (विदिशा), बैतूल, धार, सिलवानी (रायसेन),  रघुराजनगर (सतना), भिंड, इंदौर एक, बदनावर (धार),  शिवपुरी, शाजापुर, सोहागपुर (शहडोल), इंदौर चार, राजनगर (छतरपुर), निवाड़ी (टीकमगढ़), इंदौर दो, खंडवा, ग्वालियर, सीधी, मुरैना, रतलाम, सागर, देवास, धरमपुरी (धार), नागदा , विजयराघवगढ़ (कटनी), सौंसर (छिंदवाड़ा)।

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