आयरन-फाइबर जैसे पोषक तत्वों से भरपूर है पोहा

पोहा या चिवड़ा लंबे समय से भारत के कई हिस्सों में पसंदीदा नाश्ते में से एक रहा है। बेहतर सेहत और एनर्जी से भरे दिन की शुरूआत के लिए यह एक अच्छा खाद्य पदार्थ है। पोहा न केवल बनाने में आसान होता है बल्कि पचने में भी हल्का होता है। साथ ही यह आयरन और कार्ब्स से भरपूर और ग्लाइसेमिक इंडेक्स में कम भी होते हैं। जहां, नाश्ते में लोगों की पहली पसंद पोहा होता है, वहीं दिन के भोजन में लोग सफेद चावल जरूर शामिल करते हैं।

लेकिन सफेद चावल सेहतमंद नहीं होते हैं। इसलिए डायबिटीज जैसे क्रोनिक बीमारियों में डॉक्टर मरीज को इसके सेवन से परहेज करने की सलाह देते हैं। चावल में बहुत सारे सरल कार्बोहाइड्रेट होते हैं जो लंबे समय से इंसुलिन के उतार-चढ़ाव, सुस्ती और वजन बढ़ने से जुड़े होते हैं। ऐसे में आप सफेद चावल की जगह पोहा का सेवन कर सकते हैं। हालांकि पोहा और चावल दोनो ही धान से बनते हैं। लेकिन पोहा कम प्रोसेस से होकर गुजरता है इसलिए इसमें पोषक तत्व चावल के मुकाबले ज्यादा होते हैं।

पोहा सबसे अच्छा नाश्ता है क्योंकि इसमें लगभग 70% स्वस्थ कार्बोहाइड्रेट और 30% वसा होता है। इस प्रकार, यदि आप अपने दिन के लिए ईंधन चाहते हैं, तो पोहा बेहतर काम करता है। दूसरी ओर, चावल में कार्ब्स ज्यादा मात्रा में मौजूद होता है जिससे वजन कम करने वाले लोग इसे खाने से बचते हैं। साथ ही चावल से आपको दिन भर आलस महसूस हो सकता है।

​पोहा में है आयरन
चपटा करने के लिए पोहा को आयरन के रोलर्स से होकर गुजारा जाता है। इसलिए, यह आयरन में उच्च माना जाता है। वह महिलाएं जिन्हें गर्भावधि एनीमिया का अधिक खतरा होता है, उन्हें आमतौर पर पोहा खाने की सलाह दी जाती है। पोहा के कटोरे में नींबू का रस डालने से यह आयरन के उचित अवशोषण के लिए आवश्यक विटामिन सी प्रदान करता है।

​पाचन में आसान
जहां चावल का सेवन दिन में हर समय नहीं किया जा सकता है, वहीं पोहा को नाश्ते और शाम के नाश्ते के रूप में भी खाया जा सकता है। चूंकि यह पाचन तंत्र के लिए आसान है और सूजन का कारण नहीं बनता है, इसलिए जब भी आप तुरंत कुछ खाना चाहते हैं, तो यह सेवन करने के लिए एकदम उपयुक्त खाद्य पदार्थ है।

​पोहा है प्रोबायोटिक फूड
पोहा में प्रोबायोटिक गुण मौजूद होते हैं। पोहा की निर्माण प्रक्रिया इसे किण्वन के अधीन करती है। यह अच्छे बैक्टीरिया को बरकरार रखता है जो प्रोटीन और कार्ब्स के चयापचय के परिणामस्वरूप बनते हैं और आंत को स्वस्थ रखने का काम करते हैं। यह लाभ सफेद चावल से नहीं मिलता है।

​पोहा में होता है कम कैलोरी
सब्जियों के साथ पके हुए पोहा की एक कटोरी में लगभग 250 कैलोरी होती है जबकि उतनी ही मात्रा में तले हुए चावल में 333 कैलोरी होती है। यह एक बहुत अच्छा भोजन बनाता है जो आपको अधिक समय तक भरा महसूस करा सकता है। कुछ लोग स्वाद बढ़ाने के लिए भुनी हुई मूंगफली भी डालते हैं लेकिन ध्यान रहे कि इससे कैलोरी काउंट बढ़ जाता है। इसलिए, यदि आप अपना वजन कम करने की कोशिश कर रहे हैं तो चावल की जगह पोहा खाएं और इसमें मूंगफली न मिलाएं।

​ब्लड शुगर को नियंत्रित करता है
जहां सफेद चावल ब्लड शुगर को नकारात्मक तरीके से प्रभावित करता है, वहीं पोहा ब्लड में अचानक बढ़ने वाले शुगर लेवल को कंट्रोल करने का काम करता है। इसमें मौजूद फाइबर शुगर को रक्त प्रवाह में लगातार रिलीज करने की अनुमति देता है।

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