अपनी मर्जी से धर्मपरिवर्तन करके निकाह करना गुनाह नहीं : सुप्रीम कोर्ट

जबलपुर
 सुप्रीम कोर्ट ने अपनी मर्जी से धर्मपरिवर्तन करके निकाह करने वाली जबलपुर निवासी युवती अंजलि तिवारी (नया नाम अतिया फातिमा) और उसके पति खान कोचिंग क्लासेस जबलपुर के संचालक डॉ. फहीम अहमद खान के खिलाफ सिविल लाइन्स थाने में दर्ज एफआईआर और उसके आधार पर जारी अदालती कार्रवाई को निरस्त करने का आदेश सुनाया।

सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति अभय एम सप्रे और यूयू ललित की युगलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर करने वाले दंपती की ओर से अधिवक्ता अहादुल्ला उस्मानी ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि 2016 में याचिकाकर्ताओं ने निकाह किया।

इससे पूर्व युवती ने अपना धर्म परिवर्तित किया। इसके लिए उस पर किसी तरह का कोई दबाव नहीं डाला गया। इसके बावजूद युवती की मां ने थाने में रिपोर्ट दर्ज करा दी। आरोप लगाया गया कि उन्हें धमकाया गया है। उनकी बेटी को प्रलोभन देकर धर्मपरिवर्तन कराया गया है। इसके लिए अरब घुमाने का लालच दिया गया था।

युवती के कहने पर ही एफआईआर दर्ज कराई गई है। धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम के तहत इस एफआईआर के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। लेकिन एकलपीठ के बाद युगलपीठ ने भी याचिका इस टिप्पणी के साथ खारिज कर दी कि पुलिस ने बाकायदे जांच के बाद एफआईआर दर्ज की है। लिहाजा, सुप्रीम कोर्ट आना पड़ा।

अपने नौ माह के बच्चे के साथ बयान देने पहुंची युवती

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर युवती अपने नौ माह के बच्चे के साथ बयान देने पहुंची। उसने कोर्ट रूम में सोमवार को सारी स्थिति स्पष्ट कर दी। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि निकाह और उससे पहले धर्मपरिवर्तन बिना किसी दबाव के अपनी मर्जी से किया गया था।

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