लोहड़ी पर आग जलाने की मुख्य वजह माता सती से जुड़ी हुई कथा से जुड़ा,जानें इस अग्नि पूजा का रहस्य

 हर वर्ष पौष माह के अंतिम दिन लोहड़ी का पर्व बड़े उत्साह व उमंग के साथ मनाया जाता है. यूं तो लोहड़ी का पर्व प्रमुख रूप से पंजाब में हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं. लेकिन, देश के अन्य हिस्सों में भी इसकी खास धूम रहती है. लोहड़ी का पर्व किसानों के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि इस समय खेतों में फसल लहलहाने लगती है. इस पर्व पर रात में आग जलाई जाती है, जिसे लोहड़ी कहा जाता है.

यह अग्नि पवित्र व शुभता का प्रतीक होती है. इस अग्नि में तिल, गुड़, मूंगफली, रेवड़ी, गजक आदि अर्पित किए जाते हैं. लेकिन, क्या आप जानते हैं लोहड़ी पर आग क्यों जलाते हैं? आइये पंडित इंद्रमणि घनस्याल से जानते हैं लोहड़ी की आग का महत्व क्या है.

लोहड़ी पर आग का महत्व

लोहड़ी का पर्व होली के जैसे मनाया जाता है. इस दिन रात्रि में एक स्थान पर आग जलाई जाती है. आसपास के सभी लोग इस आग के इर्द-गिर्द इकट्ठा होते हैं. सभी लोग मिलकर अग्निदेव को तिल, गुड़ आदि से बनी मिठाइयां अर्पित करते हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है. लोग अग्निदेव की परिक्रमा करते हैं और सुख-शांति व सौभाग्य की कामना करते हैं. अग्नि में नई फसलों को समर्पित किया जाता है और ईश्वर को धन्यवाद अर्पित करते हैं. इसके अलावा भविष्य में उत्तम फसल के लिए प्रार्थना करते हैं.

लोहड़ी पर क्यों जलाते हैं आग?

मान्यताओं के अनुसार, लोहड़ी की आग की परंपरा माता सती से जुड़ी हुई है. जब राजा दक्ष ने महायज्ञ का अनुष्ठान किया था, तब उन्होंने सभी देवताओं को बुलाया पर शिवजी और सती को आमंत्रित नहीं किया. फिर भी माता सती महायज्ञ में पहुंचीं लेकिन उनके पिता दक्ष ने भगवान शिव की बहुत निंदा की. इससे आहत सती ने अग्नि कुंड में अपनी देह त्याग दी. ऐसा कहा जाता है कि यह अग्नि मां सती के त्याग को समर्पित है. इस दिन परिवार के सभी लोग अग्नि की पूजा करके परिक्रमा करते हैं. अग्नि में तिल, रेवड़ी, गुड़ आदि अर्पित करके प्रसाद के रूप में बांटा जाता है. इस तरह लोहड़ी का पर्व मनाया जाता है.

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