सेना दिवसः कौन थे केएम करियप्पा जिन्होंने पाकिस्तान को कर दिया था मजबूर

 नई दिल्ली 

15 जनवरी 1949 की तारीख भारत के लिए बेहद अहम मानी जाती है। दरअसल किसी भी देश की संप्रभुता और अखंडता को बचाए रखने के लिए सेना का बहुत बड़ा योगदान होता है। 15 जनवरी को हम सेना दिवस के रूप में मनाते हैं। इसी दिन ब्रिटिश शासन ने पहली बार भारतीय सेना को कमान सौंपी थी। इसी दिन कमांडर इन चीफ का पद भारतीय अधिकारी को मिला था। सेना दिवस की बात हो और फील्ड मार्शल केएम करियप्पा की बात ना हो ऐसा हो ही नहीं सकता। दरअसल फील्ड मार्शल केएम करियप्पा ने जनरल फ्रांसिस बुचर से भारतीय सेना के कमांडर इन चीफ का पद लिया था। वह आजाद भारत के पहले भारतीय फाइव स्टार रैंक सैन्य अधिकारी थे। उन्होंने एक बार पाकिस्तान को अपने बेटे के साथ अन्य युद्धबंदियों को छोड़ने पर मजबूर कर दिया था।

कौन थे करियप्पा
आज भारतीय सेना को दुनिया की चौथी सबसे मजबूत सेना माना जाता है। केएम करियप्पा का जन्म 28 जनवरी 1900 को कर्नाटक में हुआ था। पहले विश्व युद्ध के दौरानन वह ब्रिटिश सेना में प्रशिक्षण लेकर ऐक्टिव हुए थे। 1942 में वह कर्नल बने। 1986 में 86 साल की उम्र में उन्हें फील्ड मार्शल बनाया गया। 1947 में पाकिस्तान के साथ युद्ध में भी वह पश्चिमी कमान के चीफ थे। 1953 में रिटायर होने के बाद भी  वह सेना के सहयोग में तत्पर रहते थे। साल 1993 में 94 साल की उम्र में उनका निधन हुआ था। 

बेटे को लेकर केएम करियप्पा का सख्त फैसला
केएम करियप्पा ने एक बार पाकिस्तान से कह दिया था कि उनके बेटे के साथ भी वैसा ही व्यवहार किया जाए जैसा कि अन्य युद्धबंदियों के साथ वह करता है। दरअसल1965 में भारत-पाकिस्तान के युद्ध के आखिरी दिन फील्ड मार्शल करियप्पा के बेटे स्क्वाड्रन लीडर केसी करियप्पा, एएस सहगल औऱ कुक्के सुरेश के साथ पाकिस्तानी ठिकानों पर हवाई बमबारी करने गए थे। इसके बाद पाकिस्तान ने एंटी एयरक्राफ्ट गन से विमान पर हमला कर दिया। स्क्वाड्रन लीडर करियप्पा हिम्ममत नही हारे और वे दुश्मन के ठिकानों पर हमला करते रहे। आखीर में उनका विमान भी गोलियां का शिकार हुआ और वह खुद पाकिस्तानी इलाके में जा गिरे। 

उनके गिरने के बाद पाकिस्तानी सैनिकों ने उन्हें घेर लिया और हिरासत में ले लिया। बताया जाता है कि केसी करियप्पा ने केवल अपना नाम और रैंक बताया था। उन्होंने अपने पिता का जिक्र नहीं किया। बावजूद इसके पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति अयूब खां चो जब इस बात का पता चला तो उन्होंने रेडियो से घोषणा करवा दी कि केएम करियप्पा के बेटे को पकड़ा गया है। अगर  वे चाहें तो तो उनके बेटे को छोड़ा जा सकता है। इसपर फील्ड मार्शल करियप्पा ने अपना दो  टूक जवाब भिजवा दिया था। उन्होंने कहा था कि उनके बेटे के साथ भी वही व्यवहार किया जाए जो कि अन्य युद्धबंदियों के साथ किया जाएगा। अगर छोड़ना ही है तो सभी युद्धबंदियों को छोड़ना होगाा। इसके कुछ दिनों के बाद केसी करियप्पा के साथ अन्य युद्धबंदियों को भी छोड़ा गया था। 
 

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