1st Test: अश्विन ने दिलाई भारत को पहली सफलता, कुक को किया बोल्ड
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बर्मिंघम
टाॅस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने आई इंग्लैंड टीम को ओपनर ऐलेस्टर कुक के रूप में पहला झटका लगा। स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने 9वें ओवर की आखिरी गेंद पर उन्हें बोल्ड कर भारत को पहली सफलता दिलाई। कुक 28 गेंदों का सामना कर 13 रन बनाकर पवेलियन लाैटे।
भारत ने टेस्ट विशेषज्ञ चेतेश्वर पुजारा को अंतिम एकादश में नहीं रखा है और उनके स्थान पर फार्म में चल रहे केएल राहुल को जगह दी है। पुजारा इस सत्र में अर्धशतक तक जडऩे में नाकाम रहे हैं। भारत ने इसके अलावा टीम में रविचंद्रन अश्विन के रूप में एकमात्र स्पिनर रखा है। इंग्लैंड का यह 1000वां टेस्ट है, लेकिन दुनिया की नंबर एक भारतीय टीम उसके रंग में भंग डाल सकती है। भारत ने आखिरी बार राहुल द्रविड़ की अगुवाई में 2007 में इंग्लैंड में टेस्ट श्रृंखला जीती थी। विराट कोहली की टीम के लिए उसी सफलता को दोहरा पाना आसान नहीं होगा। महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में भारतीय टीम 2011 और 2014 में क्रमश: 4.0 और 3.1 से हारी। भारत ने इंग्लैंड में 57 में से छह टेस्ट ही जीते हैं।
इंग्लैंड का पिछला फाॅर्म भी चिंता का सबब है। सितंबर 2017 के बाद से इंग्लैंड ने आॅस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और पाकिस्तान के खिलाफ नौ में से एक ही टेस्ट जीता है। पिछले पांच घरेलू टेस्ट में उसे वेस्टइंडीज और पाकिस्तान ने हराया। दोनों टीमों ने बल्लेबाजी में जो रूट, जानी बेयरस्टा और एलेस्टेयर कुक पर उसकी अत्यधिक निर्भरता का फायदा उठाया। दूसरी ओर भारतीय टीम ने यहां छह में से तीन जीत 2002 के बाद दर्ज की है। भारत के सहायक कोच संजय बांगड़ उस टेस्ट टीम का हिस्सा थे जिसने सौरव गांगुली की अगुवाई में लीड्स पर जीत दर्ज की थी।
अफ्रीका दाैरे पर जो भारत ने गलतियां की उनसे बचना होगा
विकेटकीपर दिनेश कार्तिक 2007 की टीम में थे। कप्तान विराट कोहली 2011 में और तेज गेंदबाज ईशांत शर्मा 2014 में यहां दौरा कर चुके हैं। भारतीय टीम को दक्षिण अफ्रीका दौरे की की गई गलतियों से बचना होगा। उस समय टीम प्रबंधन ने अजिंक्य रहाणे पर रोहित शर्मा को तरजीह दी थी। इस बार के एल राहुल भी चयन के दावेदार है लेकिन कोहली और कोच रवि शास्त्री ने कहा है कि तीसरे सलामी बल्लेबाज के तौर पर राहुल को अपने मौके का इंतजार करना होगा। राहुल ने एसेक्स के खिलाफ 58 और दूसरी पारी में नाबाद 36 रन बनाये। दूसरी ओर शिखर धवन दोनों पारियों में चार ही गेंद तक टिक सके। चार साल पहले वह उछाल लेती ड्यूक गेंद का सामना नहीं कर सके थे और तीन टेस्ट में 122 रन ही बनाए। चेतेश्वर पुजारा भी फाॅर्म में नहीं है। वह यार्कशर के लिये छह काउंटी मैचों में 172 रन ही बना सके। वहीं बेंगलूरू में अफगानिस्तान के खिलाफ सिर्फ 35 रन बनाये। चेम्सफोर्ड में अभ्यास मैच में उन्होंने 1 और 23 रन बनाये।