आरडीएसएस के तहत देश का पहला बिजली ग्रिड इंदौर जिले के ईमलीखेड़ा में ऊर्जीकृत

सर्वप्रथम जीआईएस तकनीक का उपयोग, पच्चीस हजार जनता होगी लाभान्वित
आरडीएसएस योजना से मालवा-निमाड़ की बिजली वितरण क्षमता 500 एमवीए और बढ़ेगी

भोपाल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पिछले वर्ष जुलाई में ऊर्जा मंत्रालय के लिए प्रारंभ रिवेम्प्ड डिस्ट्रिब्यूशन सेक्टर स्कीम (आरडीएसएस) के तहत देश का पहला 33/11 केवी का बिजली ग्रिड इंदौर जिले के सांवेर तहसील के ईमलीखेड़ा में पूर्ण होकर ऊर्जीकृत हुआ है। इस ग्रिड से पाँच गाँवों की पच्चीस हजार जनता को उच्च गुणवत्तायुक्त चौबीस घंटे बिजली मिलेगी। इस उपलब्धि पर ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट और इंदौर के सांसद शंकर लालवानी ने बधाई दी है।

मध्यप्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी इंदौर के प्रबंध निदेशक अमित तोमर ने बताया कि इस ग्रिड के लिए भूमि-पूजन फरवरी 2023 में जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने किया था। इसके बाद जीआईएस सर्वे के आधार पर ग्रिड के लिए सारी तैयारी कर समय पर कार्य प्रारंभ किया गया। करीब पांच माह में उक्त ग्रिड तैयार होकर ऊर्जीकृत हो गया है। पाँच एमवीए क्षमता का उक्त ग्रिड तीन करोड़ की लागत का है। इससे आठ हजार बिजली उपभोक्ता एवं पच्चीस हजार आबादी को फायदा मिलेगा।

ग्रिड के निर्माण की विद्युत उपकरण सामग्री, पावर ट्रांसफार्मर, वीसीबी, केबल, कंडक्टर आदि राष्ट्रीय स्तर की एनएबीएल में परीक्षण उपरांत ही उपयोग में लाए गए। पहली बार ग्रिड में पैंथर कंडक्टर का उपयोग किया गया है, जो परंपरागत कंडक्टर से करीब दोगुनी क्षमता का है। कंपनी क्षेत्र में इस तरह के 97 ग्रिडों का कार्य विभिन्न चरणों में क्रियाशील है। आरडीएसएस के तहत बनाए जा रहे ग्रिडों एवं संबंधित लाइनों पर कुल 380 करोड़ रूपए व्यय हो रहे हैं। इससे कंपनी क्षेत्र की बिजली वितरण क्षमता करीब 500 एमवीए बढ़ जाएगी। ग्रिडों के साथ ही कंडक्टरों की जगह केबल, इंदौर, उज्जैन आदि के चुनिंदा स्थानों पर अंडरग्राउंड केबल, पुराने ग्रिडों का नवीनीकरण एवं क्षमता में बढ़ोत्तरी, पुराने कंडक्टरों की जगह नए एवं ज्यादा क्षमता के कंडक्टर लगाने, केपेसिटर बैंकों की स्थापना आदि के कार्य भी क्रमबद्ध रूप से किए जा रहे हैं।

आरडीएसएस के तहत कार्यों की प्रति सप्ताह समीक्षा की जाती है, ताकि कार्य समय़ पर एवं गुणवत्ता के साथ हो। ग्रिडों के पास वाटर हार्वेस्टिंग के आदेश दिए गए है, ताकि ग्रिड के बोरिंग ग्रीष्मकाल में भी चलते रहें और ग्रिड में अर्थिंग के लिए पानी का संकट न आए।

 

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