‘पर्यावरण को कायम रखना बेहद जरूरी…’ GM सरसों पर सुप्रीम कोर्ट की राय; अगली सुनवाई 28 सितंबर तक स्थगित

नई दिल्ली
 सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र की आनुवांशिक रूप से संवर्द्धित जीएम सरसों के बीज के उत्पादन और परीक्षण की स्वीकृति के लिए दायर याचिका पर तत्काल कोई दिशा-निर्देश देने से इन्कार करते हुए कहा कि पर्यावरण और पारिस्थितिकी को कायम रखना बेहद जरूरी है।

अगली सुनवाई 28 सितंबर तक के लिए स्थगित
पर्यावरण के नुकसान की भरपाई नहीं हो सकती है। केंद्र के एक विधि अफसर के इस संबंध में मौखिक हलफनामे को वापस लेने की अपील के संबंध में सर्वोच्च अदालत ने अगली सुनवाई 28 सितंबर तक के लिए स्थगित कर दी है। जस्टिस बीवी नागरत्ना और उज्ज्वल भुयन की खंडपीठ ने केंद्र की अपील पर सुनवाई को टाल दी जिसमें केंद्र सरकार ने कहा कि सर्वोच्च अदालत या तो नवंबर, 2022 के मौखिक हलफनामे से मुक्त कर दें अन्यथा सरकार को कुछ स्थानों पर इसी मौसम से जीएम बीजों को बोने की अनुमति दी जाए।

‘जीन कैंपेन’ और अन्य से जवाब तलब
अतिरिक्त सालीसिटर जनरल ऐश्वर्या भट्टी ने केंद्र की ओर से पेश होते हुए कहा कि सरकार बुवाई के एक और मौसम को खोना नहीं चाहती है। अगर कोर्ट हमें हमारे उस मौखिक हलफनामे से मुक्त कर दे तो शुरुआती तौर पर स्थापित दस स्थानों में जीएम सरसों के बीज बो सकें। उल्लेखनीय है कि पिछले हफ्ते भी सुप्रीम ने केंद्र की याचिका पर गैर-सरकारी संगठन ‘जीन कैंपेन’ और अन्य से जवाब तलब किया था।
2004 में इस मुद्दे पर जनहित याचिका दायर की थी।

केंद्र ने याचिका में अपने नवंबर, 2022 के मौखिक वादे या हलफनामे को वापस लेने की अपील की है। इसमें सरकार ने कहा था कि वह देश में आनुवंशिक रूप से संशोधित (जीएम) सरसों की व्यावसायिक खेती की दिशा में आगे कदम नहीं उठाएगी।

जस्टिस बीवी नागरत्ना और उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने केंद्र की याचिका पर एनजीओ और कार्यकर्ता अरुणा रोड्रिग्स सहित अन्य को नोटिस जारी किया। एनजीओ ने 2004 में इस मुद्दे पर जनहित याचिका दायर की थी।

Back to top button