बच्चों की सोने की पोजीशन पर दें ध्यान, वरना हो सकते हैं नुकसान
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बच्चे की अच्छी देखभाल करना हर माता पिता का कर्त्तव्य होता है। साथ ही यह सबसे बड़ी ज़िम्मेदारियों में से एक होता है लेकिन यह भी एक सत्य है कि इस ज़िम्मेदारी को बखूबी निभाना आसान नहीं होता। बच्चे के पालन पोषण का ज़िम्मा तब से शुरू हो जाता है जब से वह अपने माँ के गर्भ में पलने लगता है। हालांकि पूरे नौ महीने बच्चा अपने माँ के गर्भ में रहता है फिर भी माँ होने के नाते आपको हर छोटी छोटी बात की चिंता होती रहती है जैसे आपके बच्चे को सही मात्रा में पौष्टिक आहार मिल रहा है की नहीं आदि।
बच्चे के जन्म के बाद आप पर अचानक ज़िम्मेदारियां भी बढ़ जाती हैं। आपके नन्हे शिशु के खाने-पीने से लेकर उसे नहलाने और सुलाने तक हर बात का ध्यान आपको रखना होता है। कई माता पिता कुछ ही दिनों में सब कुछ बड़े ही आराम से मैनेज कर लेते हैं। वहीं कुछ पेरेंट्स ऐसे भी होते हैं जो बच्चे को उठाने में या फिर उन्हें सुलाने में भी घबराते हैं कि कहीं उनसे कोई गलती न हो जाए।
कई बार बच्चे गलत तरीके से सो जाते हैं ऐसे में माता पिता के लिए उन्हें सही पोजीशन में सुलाना किसी चैलेंज से कम नहीं होता ख़ासतौर पर उनके लिए जो पहली बार माता पिता बने हो। इतना ही नहीं कई पेरेंट्स इसी चिंता में कि उनका बच्चा सही तरीके से सो रहा है या नहीं, रात भर खुद सो नहीं पाते। आपकी इसी समस्या के समाधान के लिए आज हम ये लेख लेकर आए हैं।
हम आपको कुछ आसान और बेहतर तरीके बताएंगे जिनका पालन करके आप अपनी इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं।
1. बच्चे को पीठ के बल लिटाये
2. बच्चे के करवट पर ध्यान दें
3. सूती चादर इस्तेमाल करें
4. रात को बार बार जागने की ज़रूरत नहीं है
5. बच्चे के पैर को पालने के पैर की ओर रखें
6. कम्बल और स्लीपिंग बैग का प्रयोग
7. कोनो में तकिये लगा दें
बच्चे को पीठ के बल लिटाएं
ये सुनने में आपको बहुत ही आम बात लगेगी। कई बच्चों को सेहत से जुड़ी समस्याएं आती हैं क्योंकि बचपन में उन्हें सही तरीके से पीठ के बल सुलाया नहीं जाता। बाल रोग विषेशज्ञों ने इस बात की पुष्टि की है कि कई बच्चों की अचानक मृत्यु या फिर पालने में मृत्यु सिर्फ इसी वजह से हो जाती है। अक्सर माता पिता बच्चों की लंबी नींद के दौरान इस बात का ध्यान रखते हैं लेकिन जब वह थोड़े समय के लिए सोते हैं तो ऐसे में पेरेंट्स थोड़ी लापरवाही कर देते हैं। याद रखिये आप ऐसी गलती न करें।
बच्चे के करवट पर ध्यान दें
सोते वक़्त सबसे ज़रूरी यही होता है कि बच्चे की पोज़ीशन बिल्कुल सही रहे। वो कभी पेट के बल न सोए। शुरुआत के कुछ महीनों में इस बात की चिंता नहीं रहती क्योंकि इस समय आप जैसे अपने बच्चे को लिटाएंगे वह बिल्कुल वैसे ही लेटेगा। लेकिन जैसे ही आपका बच्चा करवट बदलने लगेगा आपको सतर्क रहने की ज़रुरत है। जब भी आप उसे पेट के बल सोता हुआ देखें तो फ़ौरन उसे सीधा लेटा दें।
सूती चादर इस्तेमाल करें
बच्चे को सुलाने के लिए जिस बिस्तर का इस्तेमाल करें उस पर हमेशा सूती चादर ही बिछाएं क्योंकि इस पर बच्चा बहुत सहज महसूस करेगा और साथ ही अच्छी नींद भी लेगा। सिंथेटिक की चादरें देखने में तो खूबसूरत लगेंगी लेकिन बच्चा उस पर स्लिप कर सकता है। ऐसे में बच्चा बार बार अपनी पोज़ीशन बदलेगा जिससे उसकी नींद में भी बाधा आएगी।
रात को बार बार जागने की ज़रूरत नहीं है
हमने आपको यह बताया कि आप अपने बच्चे को सही पोज़ीशन में यानी सीधे ही सुलाएं तो इसका कतई यह मतलब नहीं है कि इसके लिए आप घड़ी में अलार्म लगाकर जागते रहें ताकि बार उठकर अपने बच्चे को देखते रहें। हम जिस मूवमेंट की बात कर रहें हैं वह आमतौर पर छह महीने से ऊपर के बच्चों के लिए होता है। आपको यह बात समझनी चाहिए कि आपका बच्चा बढ़ रहा है और इस तरह के बदलाव स्वाभिक हैं।
बच्चे के पैर को पालने के पैर की ओर रखें
आमतौर पर जब आप अपने बच्चे के लिए पालना खरीदते हैं तो वह काफी बड़ा होता है। उसमें थोड़े बड़े बच्चे को भी आसानी से सुलाया जा सकता है। ख़ास तौर पर ऐसे पालने छह महीने से कम के बच्चों के लिए बहुत ही बड़े होते हैं। इस उम्र के बच्चे बहुत ही कम जगह लेते हैं, इस स्थिति में आप ध्यान रखें कि आप बच्चे को बिल्कुल बीचों बीच ना लिटाएं। बच्चे के पैर का पंजा पालने के पैर की तरफ हो। इससे यह सुनिश्चित हो जाएगा कि बच्चा बड़ा ही आराम और सहज महसूस कर रहा है। चूंकि पालने में काफी जगह है इसलिए बच्चे के सिर के ऊपर भी अच्छा ख़ासा फासला हो।
कम्बल और स्लीपिंग बैग का प्रयोग
मौसम के अनुसार आपको कम्बल और स्लीपिंग बैग का इस्तेमाल करना पड़ सकता है। अगर आप कम्बल का प्रयोग कर रही हैं तो ध्यान रखिये कि कम्बल बच्चे के चेहरे के नीचे रहे। सोते वक़्त कम्बल बच्चे के चेहरे के ऊपर न जाए। कई बार यह बेहद खतरनाक हो सकता है। स्लीपिंग बैग सोते हुए बच्चों को सही पोज़ीशन में सुलाने के लिए एक अच्छा विकल्प है। हालांकि चार महीने से कम उम्र के बच्चों के लिए स्लीपिंग बैग्स का इस्तेमाल नही करना चाहिए।
कोनों में तकिये लगा दें
छह महीने से ऊपर के बच्चों के लिए यह बेहद ज़रूरी होता है क्योंकि इस समय आपका बच्चा नींद में अपनी पोज़ीशन बदलता रहता है। इसलिए ऐसे में बेहतर यही होगा कि आप अपने बच्चे की सुरक्षा के लिए कोनों में नरम मुलायम तकिये लगा दें। यदि आपका बच्चा अचानक नींद से उठ जाए और आप उसके आसपास न हो तो आपका बच्चा चोटिल न हो। साथ ही आप इस बात से भी निश्चिन्त रहेंगी कि आपका बच्चा सही पोज़ीशन में सो रहा है।
बच्चों को सुलाने का सही तरीका जानने के बाद मुमकिन है आपका आत्मविश्वास भी बढ़ गया होगा इसलिए बेकार की चिंता छोड़कर आराम से गहरी सांस लें और अपने नन्हे शिशु की अच्छे से देखभाल करें।