बच्चों में बढ़ रही है फैटी लिवर की बीमारी

माता-पिता को फैटी लिवर की बीमारी है, तो बच्चों में भी इसके होने का खतरा 4 से 7 गुना बढ़ जाता है। एक स्टडी में यह खुलासा हुआ है। इंस्टिट्यूट ऑफ लिवर एंड बीलियरी साइंसेज (ILBS) के पीडिऐट्रिक्स हेपेटॉलजी डिपार्टमेंट के डॉक्टरों ने स्टडी में यह निष्कर्ष निकाला है। रिसर्च में शामिल डॉक्टर का कहना है कि माता-पिता की बीमारी का असर बच्चों पर हो सकता है। ऐसे में जरूरी है कि पैरंट्स अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव करें। डॉक्टर का कहना है कि अगर पैरंट्स को मोटापा, डायबीटीज और दूसरी मेटाबॉलिक डिजीज है, तो बच्चों में नॉन ऐल्कॉहॉलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) का खतरा रहता है।

फैटी लिवर की बीमारी का खतरा
ILBS के पीडिऐट्रिक्स हेपेटॉलजी की एचओडी सीमा आलम ने कहा कि स्टडी में 18 साल से कम उम्र के 69 बच्चों को शामिल किया गया था जिन्हें नॉन ऐल्कॉहॉलिक फैटी लिवर डिजीज था। 30 ऐसे बच्चे भी थे, जिन्हें बीमारी नहीं थी। स्टडी में बच्चों के पैरंट्स को भी शामिल किया गया था। देखा गया कि अगर बच्चा मोटापे का शिकार है तो उसमें नॉन ऐल्कॉहॉलिक लिवर डिजीज का खतरा 92.4 पर्सेंट है। लेकिन अगर माता-पिता में किसी एक को डायबीटीज या फैटी लीवर की बीमारी है तो बच्चों में नॉन ऐल्कॉहॉलिक लिवर डिजीज का खतरा 4 गुना बढ़ जाता है।

पैरंट्स करें अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव
इस स्टडी को अस्पताल के स्टूडेंट डॉक्टर विकांत सूद की थी। डॉक्टर सीमा आलम ने उन्हें गाइड किया था। उन्होंने कहा कि इस स्टडी से साफ हुआ है कि बच्चों में भी फैटी लीवर की बीमारी हो रही है। इसकी बड़ी वजह फैमिली हिस्ट्री है। यह लाइफस्टाइल से जुड़ा मुद्दा है, इसलिए पैरंट्स अपने लाइफस्टाइल पर गौर करें। डायबीटीज और बाकी चीजों को कंट्रोल करें। डॉक्टर सीमा ने कहा है कि फैटी लिवर की बीमारी कंट्रोल की जा सकती है। नहीं तो, लिवर ट्रांसप्लांट करने की नौबत आ जाती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button