इस बुलेट बाइक की पूजा से होती है मुरादें पूरी, लोग कहते हैं इस पर बैठा है ओम

जोधपुर-अहमदाबाद राष्ट्रीय राजमार्ग पर जोधपुर से पाली जाते वक्त पाली से लगभग 20 किलोमीटर दूर सड़क किनारे एक मंदिर बना है। इस मंदिर में किसी देवी-देवता की नहीं बल्कि एक बुलेट बाइक की पूजा होती है। सिर्फ आमजन ही नहीं बल्कि पुलिसवाले भी खासतौर पर इस मंदिर में दर्शन करने आते हैं। क्या है इस मंदिर का महत्व और मोटर साइकिल की पूजा का कारण, आइए जानते हैं…

इन्हें समर्पित है यह मंदिर
बाइक की पूजा होनेवाला यह मंदिर ओम बन्ना को समर्पित है। राजस्थान में राजपूत नवयुवकों को बन्ना कहा जाता है। ओम बन्ना का पूरा नाम ओम सिंह राठौड़ है। ये पाली शहर के पास ही स्थित चोटिला गांव के ठाकुर जोग सिंह राठौड़ के पुत्र थे। वर्ष 1988 में अपनी इसी बुलेट से गांव लौटते समय सड़क दुर्घटना में ओम बन्ना की मृत्यु हो गई थी।

ससुराल से आते समय हुई दुर्घटना
ओम बन्ना पाली जिले में अपनी ससुराल से होकर अपने गांव चोटिला आ रहे थे। स्थानीय निवासियों के अनुसार वह शाम का समय था और ओम बन्ना को लगा कि सड़क पर कोई है। बचने के लिए उन्होंने जैसे ही अपनी बाइक घुमाई वह सड़क पर आ रहे ट्रक से भिड़ गई और फिर सड़क पर स्थित पेड़ से जा टकराई। टक्कर इतनी तेज थी कि ओम बन्ना की घटना स्थल पर ही मृत्यु हो गई।

अक्सर होती थीं सड़क दुर्घटनाएं
स्थानीय लोगों का कहना है कि जिस जगह पर ओम बन्ना का एक्सिडेंट हुआ था, वहां अक्सर सड़क दुर्घटनाएं होती रहती थीं और किसी न किसी की मृत्यु हो जाती थी। कुछ लोगों ने तो इस जगह को शापित तक करार दे दिया था। ओम बन्ना के एक्सिडेंट के बाद पुलिस यहां से उनका शव और बाइक थाने ले गई।

अगली सुबह हुआ यह आश्चर्य
परिवार को जवान बेटे की मौत की सूचना दी गई। परिवार बेटे का शव लेकर घर पहुंचा और सभी लोग अंतिम क्रियाकर्म की तैयारी करने लगे। अगली सुबह कुछ पुलिसवाले घर पहुंचे और पूछने लगे कि क्या आप लोग थाने से बाइक भी उठा लाए हैं? परिवार ने अनभिज्ञता जाहिर की। इस पर बाइक की खोज की जाने लगी। तभी पुलिस को सूचना मिली की बाइक तो दुर्घटनावाली जगह पर खड़ी हुई है।

दो से तीन बार हुआ ऐसा
सूचना मिलने पर पुलिस बाइक को फिर से थाने ले आई लेकिन अगली सुबह फिर बाइक थाने से गायब हो गई और उसी घटना स्थल पर पहुंच गई। दूसरी बार ऐसा होने पर पुलिस को शक हुआ तो बाइक को फिर से लाकर थाने में जंजीर से बांध दिया गया और इसकी निगरानी की गई। तब पुलिसवालों ने देखा कि जंजीरों में बंधी बाइक खुद-ब-खुद स्टार्ट हुई और जंजीरे तोड़ती हुई घटनास्थल पर पहुंच गई। इसके बाद पुलिसवालों ने सोचा कि बाइक को घर पर खड़ा कर दिया जाए। लेकिन घर से भी बाइक वहीं घटनास्थल पर पहुंच गई।

ऐसे हुआ मंदिर का निर्माण
बार-बार बाइक का घटनास्थल पहुंच जाना देखकर, ओम बन्ना के पिताजी ने इसे ओम बन्ना की इच्छा माना और बाइक को वहीं चबूतरा बनाकर खड़ा कर दिया गया। ओम बन्ना अपनी बाइक को सिर्फ सवारी नहीं बल्कि दोस्त और हमसफर मानते थे। लोगों की मान्यता है कि जबसे यह बाइक वहां खड़ी की गई है, अब वहां न के बराबर दुर्घटनाएं होती हैं। फिर यहां मंदिर का निर्माण कर दिया गया। इस रास्ते से गुजरनेवाले यात्री आते-जाते समय ओम बन्ना के मंदिर में कुशल यात्रा की प्रार्थना करके ही आगे बढ़ते हैं।

मनाया जाता है भव्य जन्मोत्सव
ओम बना के जन्मदिन को स्थानीय लोग किसी उत्सव की तरह मनाते हैं। इस दौरान बाइक रैली और कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

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