सफाई कर्मचारियों को सेवा से हटाने का आदेश हाईकोर्ट ने किया निरस्त

बिलासपुर
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर हाईकोर्ट ने माता-पिता के स्वैच्छिक सेवानिवृत्त लिए जाने पर शासन की योजना के तहत नगर निगम दुर्ग में सफाई कर्मचारी का काम करने वाले 10 कर्मचारियों को सेवा से हटाने के आदेश को निरस्त कर दिया है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता को पिछला समस्त लाभ देने का भी आदेश दिया है. दरअसल याचिकाकर्ता गणेश राम और अन्य 10 के माता-पिता नगर निगम दुर्ग में साफ सफाई कर्मचारी के पद पर नियमित कार्यरत थे. शासन ने सफाई कर्मचारियों के लिए स्वेच्छा सेवानिवृत्त योजना लागू किया था.

बता दें कि योजना के अनुसार लंबे समय से कार्य करने से उनका स्वास्थ्य खराब हो गया था. मेडिकल के आधार पर उनके सेवानिवृत्त के बाद उनके आश्रित में से किसी को सफाई कर्मचारी के पद पर नियुक्ति देने निगम बनाया गया था. इस निगम के तहत माता-पिता ने अपने आश्रितों की नियुक्ति कराई थी. नियुक्ति देने के कुछ माह बाद नगर निगम दुर्ग ने 30 जून 2001 को यह कहते हुए सभी को सेवा से हटा दिया कि शासन ने इस योजना पर प्रतिबंध लगा दिया है. इस कारण से नियुक्ति अवैध है. इसके खिलाफ कर्मचारियों ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी.

याचिका में कहा गया कि जब नियुक्ति दी गई तब योजना प्रभावशील था. शासन ने योजना पर 4 अप्रैल 2001 में रोक लगाई है जबकि उनकी नियुक्ति इससे पहले हुई है. नियमानुसार योजना पर रोक लगाए जाने के स्थिति में याचिकाकर्ताओं के माता-पिता को सेवा में वापस लिया जाना चाहिए. ऐसा नही कर सभी कर्मचारियों को सेवा से मुक्त कर दिया गया जो कि नियमविरुद्ध है. मामले की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट जस्टिस के सिंगल बैंच ने याचिकाकर्ताओ को हटाने के आदेश को निरस्त करते हुए उन्हें सभी प्रकार का लाभ देने और सेवा में लेने का आदेश दिया है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button