#MeToo सुनामी की तरह आया है, बदलाव ऐसे ही आते हैं: अरबाज खान

#MeToo अभियान पर बॉलिवुड अभिनेता अरबाज खान ने कहा कि वह इस मुहीम को पूरी तरह सपॉर्ट करते हैं, यह मुहीम सुनामी की तरह आई है, बदलाव ऐसे ही आते हैं। ध्यान रखना होगा कि इस सुनामी में कोई बेगुनाह न बह जाए। इस मामले में गंभीरता, समझदारी और संवेदनशील होकर बात करने की जरूरत है।

अरबाज कहते हैं, 'महिलाओं के साथ किसी भी जगह, किसी भी तरह का शोषण स्वीकार नहीं होगा। किसी भी व्यक्ति को किसी का भो शोषण करने का कोई भी अधिकार नहीं है। मैं #MeToo मूवमेंट को मैं सम्पूर्ण रूप से सपॉर्ट करता हूं। यौन शोषण के मामले में जो पीड़ित है, उसे न्याय मिलना ही चाहिए, लेकिन हमें इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि कोई भी इस मुहीम का दुरुपयोग न कर ले, कोई किसी बेगुनाह को झूठ बोल कर फंसा न दे, कोई एजेंडा न हो।'

आरोप के तुरंत बाद बंद हो रहे लोगों के काम के बारे में अरबाज कहते हैं, 'माहौल ऐसा बन गया है कि लोग किसी के द्वारा लगाए गए आरोप के बाद सीधा अपना फैसला सुना रहे हैं। इस तरह ऐक्शन लिया जा रहा है, जिससे लोगों का काम बंद हो रहा है, उनकी जिंदगी बरबाद हो रही है। दुनिया में कोई भी अपराध हो, फिर चाहे वह हत्या हो या कुछ और, सभी अपराधों की सजा निर्धारित है, सजा काट कर वह आदमी बाहर आता है और उसे अपनी नई जिंदगी फिर से शुरू करने का मौका मिलता है। इस मामले में थोड़ा सा समझदारी से काम करना होगा, यह जो सोशल बॉयकॉट है, उसे देखकर ऐसा लग रहा है कि जिस पर आरोप लगाया गया है उसे जिंदगी भर काम नहीं मिलेगा।'

अरबाज आगे कहते हैं, 'अब आरोपी ने अपनी गलती मान ली हो, माफी मांग ली हो, सुधार करना चाहता हो, मुझे समझ नहीं आ रहा इन सब चीजों को किस तरह सुलझाया जाएगा। हां इस मामले में डिसीजन भी जल्दी हो रहे हैं, जो अपनी शिकायतों को आगे कोर्ट तक नहीं ले जाना चाहते, वह वापस भी आ रहे हैं। दुर्भाग्यवश आरोपी को तो सजा मिल रही है, लेकिन जिसने झूठा आरोप लगाया उस पर कोई ऐक्शन नहीं लिया जा रहा है। क्योंकि झूठा आरोप लगाने वाले के लिए तो कोई कानून है ही नहीं। मैं यह सब इसलिए कह रहा हूं क्योंकि कुछ लोग सिर्फ किसी को परेशान करने के लिए झूठा आरोप भी लगा रहे हैं। वैसे मैं इस मुहीम को पूरी तरह सपॉर्ट करता हूं, लेकिन इस बात का ध्यान रखना होगा कि कोई बेगुनाह इससे इफेक्ट न हो।'

#MeToo की इस मुहीम को सुनामी की संज्ञा देते हुए अरबाज ने कहा, 'अभी जो माहौल है वह सुनामी की तरह है। कुछ भी पता नहीं है किस तरह से फैसले लिए जाएंगे और क्या होगा। हमें इस मामले में समझदार लोगों की विवेचना को सुनना होगा। शिकायतें हर तरह की सामने आ रही हैं। सेक्शुअल मोलेस्टेशन है, जैसे टेक्स्ट मेसेज भेजना, हाथ लगाना, बुरी नजर देखना और तमाम अलग-अलग तरह की शिकायतें, क्या इन सबकी सजा एक है। यहां सभी चीजों पर एक ही तरह सजा दी जा रही है। काम से बैन की बात में भी एक समय निर्धारित होना चाहिए। उम्मीद है कोर्ट इस मामले में कुछ नए रूल्स लेकर सामने आएगी। मैं उम्मीद करता हूं इस अभियान से कुछ अच्छे बदलाव जरूर आएंगे। बदलाव तो इसी तरह की मुहीम के बाद आते हैं।'

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