100 रुपये का जुर्माना लगाया सुप्रीम कोर्ट ने, वकील ने जमा कराए 50 पैसे के 200 सिक्के

नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट में एक वकील ने 50-50 पैसों के 200 सिक्के जमा कराए हैं. ये सिक्के कई वकीलों ने अपने एक साथी वकील पर लगे सौ रुपये के जुर्माने को भरने के लिए जुटाए थे. क्योंकि 50 पैसे का सिक्का आजकल बाजार में नहीं चल रहा है इसलिए ये आसानी से उपलब्ध भी नहीं हैं. फिर भी वकीलों ने काफी मशक्कत के बाद इन सिक्कों को इकट्ठा किया था. यह वकीलों का एक सांकेतिक विरोध है जो कि सुप्रीम कोर्ट के वकील पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा 100 रुपये जुर्माना लगाने के खिलाफ है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट के वकील रीपक कंसल ने सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री पर आरोप लगाया था कि रजिस्ट्री बड़े वकीलों व प्रभावशाली लोगों के मामलों को सुनवाई के लिए अन्य लोगों के मामलों से पहले सुनवाई की लिस्ट में शामिल कर देती है. वकील कंसल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के सेक्शन ऑफिसर और/या रजिस्ट्री नियमित रूप से कुछ लॉ फॉर्म्स और प्रभावशाली वकीलों और उनके केसेज को 'वीवीआइपी ट्रीटमेंट' देते हैं जो सुप्रीम कोर्ट में न्याय पाने के समान अवसर के खिलाफ है. याचिका में सुप्रीम कोर्ट से मांग की गई थी कि सुनवाई के लिए मामलों को सूचीबद्ध (लिस्ट) करने में 'पिक एंड चूज' नीति न अपनाया जाए और कोर्ट रजिस्ट्री को निष्पक्षता और समान व्यवहार के निर्देश दिए जाएं. सुप्रीम कोर्ट जज जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर और जस्टिस एम आर शाह की बेंच ने रीपक कंसल की याचिका में लगाए गए आरोपों को खारिज करते हुए 100 रुपये का सांकेतिक जुर्माना लगाया था. कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा था कि "रजिस्ट्री के सभी सदस्य दिन-रात आपके जीवन को आसान बनाने के लिए काम करते हैं. आप उन्हें हतोत्साहित कर रहे हैं. आप इस तरह के आरोप कैसे लगा सकते हैं? रजिस्ट्री हमारे अधीनस्थ नहीं है. वे बहुत हद तक सुप्रीम कोर्ट का हिस्सा हैं."

जुर्माने के अदायगी की रसीद
रीपक कंसल ने अपनी याचिका में सबूत के तौर पर एक अन्य याचिका का जिक्र किया था जिसे सुनवाई के लिए वीआईपी ट्रीटमेंट दिया गया था. वह याचिका सुप्रीम कोर्ट में रात आठ बजे दायर हुई और अगले दिन एक घंटे के भीतर सुनवाई के लिए लिस्ट कर लिया गया था, जबकि वकील की "वन नेशन वन राशन कार्ड" की मांग वाली याचिका को शीघ्र सूचीबद्ध नहीं किया गया. जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर और जस्टिस एम आर शाह की बेंच ने अर्णब गोस्वामी के मामले को 'अधिमान्य प्राथमिकता' का एक उदाहरण बताने पर याचिकाकर्ता पर नाराजगी व्यक्त की. कोर्ट ने कहा था कि "आप वन नेशन वन राशन कार्ड पर अपनी याचिका की तुलना अर्नब गोस्वामी से कैसे कर सकते हैं? क्या आग्रह था? आप क्यों अर्थहीन बातें कर रहे हैं?". रीपक के खिलाफ कोर्ट द्वारा जुर्माना लगाने के फैसले का सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के वकील सांकेतिक विरोध कर रहे हैं. उनको लगता है कि रीपक कंसल ने अपनी याचिका में जो बातें कहीं थीं वह सही हैं, ऐसे में कोर्ट ने उन पर जुर्माना लगाकर ठीक नहीं किया है. इसी सांकेतिक विरोध के लिए वकीलों ने 100 रुपया इकट्ठा करने के लिए चंदा जुटाना शुरू किया. इसके लिए व्हाट्सएप पर 'Contribute Rs 100' नाम से एक ग्रुप बनाया गया. उस ग्रुप में 125 से अधिक वकीलों ने रीपक कंसल का समर्थन करने की बात कही और सबने मिलकर 50-50 पैसे के सिक्के खोजे.
 

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