सस्ता और फायदेमंद डिजिटल गोल्ड पर लट्टू हुए भारतीय, बॉन्ड-ईटीएफ की 50 फीसदी बढ़ी मांग

नई दिल्ली
कोरोना संकट में उपभोक्ताओं की कमाई भले ही घट गई हो, लेकिन सोने की खरीदारी को लेकर उनकी चाहत अब भी बरकरार है। हालांकि, वह बाजार जाकर ज्वेलरी खरीदने की बजाय अब घर बैठे ऑनलाइन सोना (ई-गोल्ड) खरीदना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। कोरोना के शुरू होने के बाद ई-गोल्ड की मांग 50 फीसदी बढ़ी है। हालांकि, इससे सर्राफा कारोबारियों यानी ज्वेलर्स का संकट बढ़ गया है।

विशेषज्ञों का कहना है कि ऑनलाइन सोने की बिक्री में नामचीन और भरोसेमंद कंपनियों के आने और बेहद कम दाम पर सोने खरीदने की सुविधा ने उपभोक्ताओं का  ई-गोल्ड की ओर आकर्षण बढ़ा है। ई-गोल्ड में तीन कंपनियां भारत में कारोबार कर रही हैं। सरकारी क्षेत्र की कंपनी एमएमटीसी और स्विट्जरलैंड की कंपनी एमकेएस पीएएमपी अपने संयुक्त उद्यम एमएमटीसी-पीएएमपी के जरिये ई-गोल्ड बेच रही है।

जबकि सेफ गेल्ड के साथ साझेदारी में  डिजिटल गोल्ड इंडिया ई-गोल्ड में कारोबार कर रही है। वहीं अवुगमाउंट गोल्ड भी ई-गोल्ड के बढ़ते बाजार में हाथ आजमा रही है। इन तीनों ई-गोल्ड कंपनियों ने भारत में कई ई-वॉलेट कंपनियों से करार कर रखा है जिसके जरिये उपभोक्ता सोना खरीद सकते हैं। इसमें पेटीएम, गूगल पे, कुबेरा, फोनपे और अमेजन पे सहित कई नाम शामिल हैं।

ई-गोल्ड खरीदने पर कंपनियां आपको घर पर सोना पहुंचाने की सुविधा देती हैं। इसमें मात्रा तय होती है। उस तय मात्रा में आपके खाते में सोना हो जाने पर आप उसे घर मंगा सकते हैं। इसके बदले कंपनियां अतिरिक्त शुल्क वसूलती हैं। आप जो सोना ई-गोल्ड के जरिये खरीदते हैं कंपनियां उसे अपने लॉकर में रखती हैं और उसके लिए भी खरीदार से शुल्क वसूलती हैं। ई-गोल्ड के तहत खरीदा गया सोना एक तय अवधि के भीतर उसी कंपनी को बेच भी सकते हैं। इसमें केवल मार्जिन शुल्क चुकाना होता है जो दो से तीन फीसदी तक होता है।

नामचीन कंपनियों के आने से बहुत हद तक ई-गोल्ड में निवेश सुरक्षित है। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि साइबर हमले की स्थिति में अकाउंट हैक हो जाने से पूंजी डूबने की खतरा बना रहता है क्योंकि इसमें रिकॉर्ड डिजिटल होता है। वहीं फर्जी वेबसाइट बनाकर भी उपभोक्ताओं को ठगे जाने की आशंका रहती है।

कोरोना संकट के बीच ई-गोल्ड की ओर खरीदारों के जाने से ज्वेलर्स पर दोहरी मार पड़ी है। दिल्ली गोल्ड एंड बुलियन एसोसिएशन के महासचिव योगेश सिंघल का कहना है कि पहले कोरोना की वजह से काफी समय तक दुकानें और शोरूम बंद रहे। अब घर बैठे लोग ई-गोल्ड खरीद रहे हैं। इससे सर्राफा कारोबारियों और उनके साथ जुड़े लाखों कारीगरों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया। वहीं एजेंल ब्रोकिंग के डिप्टी वाइस प्रेसिडेंट (कमोडिटी एंड करेंसी) अनुज गुप्ता का कहना है कि सोने की खरीदारी को लेकर निवेशकों की पसंद नहीं बदली है बल्कि उसके तरीके में बदलाव आया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button