1000 करोड़ से बन रहा रामानुजाचार्य का मंदिर, 120 kg की सोने की मूर्ति होगी स्थापित

हैदराबाद
 भारत के महान संतों में से एक रामानुजाचार्य की सहस्त्राब्दी वर्ष यानी 1000 साल पूरे हो चुके हैं. उनकी याद में हैदराबाद के श्रीराम नगर जीवा आश्रम के पास 216 फुट ऊंची प्रतिमा स्थापित की जा चुकी है. इसे स्टैचू ऑफ इक्वालिटी  का नाम दिया गया है. इसका निर्माण अष्टधातु के मिश्रण से कराया गया है.

हैदराबाद में रामानुजाचार्य का एक भव्य मंदिर बनाया जा रहा है, जिसमें कुल लागत 1000 करोड़ से ज्यादा है. रामानुजाचार्य की एक दूसरी प्रतिमा 120 किलो सोने से बनी है, जिसे मंदिर के गर्भगृह में रखा जाएगा. रामानुजाचार्य की सबसे बड़ी प्रतिमा चीन में बनी है, जिसकी लागत करीब 400 करोड़ रुपये है. इसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में शामिल किया गया है.

एक हजार साल पहले रामानुजाचार्य स्वामी ने भारतीय समाज में बदलाव का बिगुल फूंका था. उस वक्त समाज छुआछूत और जाति आधारित बुराइयों से जकड़ा हुआ था. वह पहले व्यक्ति थे जिन्होंने पिछड़े लोगों को मंदिर में प्रवेश करवाया था. सनातन परंपरा के किसी भी संत के लिए अभी तक इतना भव्य मंदिर नहीं बना है. रामानुजाचार्य स्वामी पहले ऐसे संत है, जिनकी इतनी बड़ी प्रतिमा स्थापित की गई है.
हैदराबाद से करीब 40 किमी दूर रामनगर में बन रहे इस मंदिर की कई खूबियां हैं:-

स्टैच्यू ऑफ इक्विलिटी और रामानुजाचार्य टेंपल 45 एकड़ जमीन पर बनाया जा रहा है. मंदिर का निर्माण 2014 में शुरू हुआ था.

मंदिर का मूल भवन करीब 1.5 लाख स्क्वैयर फीट के क्षेत्र में बन रहा है, जो 58 फीट ऊंचा है. इसी पर स्टैच्यू ऑफ इक्विलिटी रखी गई है.

 इस मंदिर में करीब 25 करोड़ की लागत से म्यूजिकल फाउंटेन लगाए जाएंगे. इनके जरिए भी स्वामी रामानुजाचार्य की गाथा सुनाई जाएगी.

मंदिर में दर्शनार्थियों को 5 भाषाओं में ऑडियो गाइड मिल सकेगी. अंग्रेजी, हिंदी, तमिल, तेलुगू सहित एक और भाषा इसमें शामिल होगी.

मंदिर के भीतर रामानुजाचार्य के पूरे जीवन को चित्रों और वीडियो में दिखाया जाएगा.

दक्षिण भारत के प्रसिद्ध 108 दिव्य देशम् की रिप्लिका भी इस स्टैच्यू ऑफ इक्विलिटी के चारों ओर बनाई जा रही है.

स्टैच्यू ऑफ इक्विलिटी का डिजाइन आर्किटेक्ट और दक्षिण भारतीय फिल्मों के आर्ट डायरेक्टर आनंद साईं ने बनाया है. उनका कहना है कि इस मंदिर और स्टैच्यू ऑफ इक्विलिटी की डिजाइन पर करीब दो साल लगे.

स्टैच्यू ऑफ इक्विलिटी और रामानुजाचार्य टेंपल 45 एकड़ जमीन पर बनाया जा रहा है. मंदिर का निर्माण 2014 में शुरू हुआ था.

कौन थे संत रामानुजाचार्य?
वैष्णव संत रामानुजाचार्य का जन्म सन 1017 में तमिलनाड़ु में ही हुआ था. वे विशिष्टाद्वैत वेदांत के प्रवर्तक थे. कांची में उन्होंने आलवार यमुनाचार्य जी से दीक्षा ली थी. पूरे भारत में घूमकर उन्होंने वेदांत और वैष्णव धर्म का प्रचार किया. रामानुजाचार्य ने वेदांत के अलावा सातवीं-दसवीं शताब्दी के रहस्यवादी और भक्तिमार्गी अलवार संतों से भक्ति के दर्शन, दक्षिण के पंचरात्र परम्परा को अपने विचार का आधार बनाया.

रामानुज के अनुसार भक्ति का अर्थ पूजा-पाठ या किर्तन-भजन नहीं, बल्कि ध्यान करना या ईश्वर की प्रार्थना करना है. सामाजिक परिप्रेक्ष्य से रामानुजाचार्य ने भक्ति को जाति और वर्ग से अलग सभी के लिए संभव माना है. 1137 ई. में वे ब्रह्मलीन हो गए.

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