अगर सरकार के पास सुनवाई नहीं होती, तो अदालत के दरवाजे़ खुले हैं- हाईकोर्ट

जबलपुर
कांग्रेस नेता  और कमलनाथ सरकार में मंत्री रही विजयलक्ष्मी साधौ को सरकारी बंगले के मामले में फिलहाल हाईकोर्ट से भी राहत नहीं मिली है.हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता विजय लक्ष्मी साधौ का निर्देश दिए हैं कि वो अपनी मांगों को लेकर पहले प्रदेश सरकार  के पास जाएं और अगर सुनवाई नहीं होती है तो अदालत के दरवाजे़ उनके लिए खुले हैं.

पूर्व मंत्री विजयलक्ष्मी साधौ ने सरकारी बंगला खाली कराने पर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी. शिवराज सरकार ने उन्हें सरकारी बंगला खाली करने का नोटिस दिया है. इसके खिलाफ साधौ ने हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था. उस पर उन्हें फिलहाल कोई फौरी राहत नहीं मिली है. हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता विजय लक्ष्मी साधौ को निर्देश दिए हैं कि वे इस संबंध में पहले प्रदेश सरकार के पास जाएं और अगर सुनवाई नहीं होती है तो अदालत के दरवाजे़ उनके लिए खुले हैं. हाईकोर्ट के इस मत के साथ पूर्व मंत्री साधौ की ओर से याचिका वापस ले ली गयी.

यह था तर्क
याचिका पर सुनवाई के दौरान साधौ की ओर से पक्ष रखते हुए अधिवक्ता ने बताया कि पद जाने के बाद सरकारी बंगला खाली करने के लिए 6 महीने का समय नियम के तहत मिलना चाहिए.ऊपर से कोरोना संकट के बीच बंगला खाली करने का नोटिस थमा दिया गया है जो ठीक नहीं है.

पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता ने रखा था पक्ष

वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिए की गई सुनवाई में साधौ का पक्ष पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता अजय गुप्ता ने रखा. हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब साधौ प्रदेश सरकार के सामने अपनी मांग रख सकती हैं. कोरोना संकट के बीच कमलनाथ सरकार के सभी कैबिनेट मंत्रियो को उन्हे आवंटित बंगले खाली करने के नोटिस चस्पा कर दिए गए थे. पूर्व वित्त मंत्री तरूण भानोट के बंगले को तो सील तक कर दिया गया था. जिसे बाद में उन्हे फिर सौंप दिया गया. सभी को 20 मई की शाम तक बंगला खाली करने का अल्टीमेटम था. लेकिन उससे पहले ही भनोट का बंगला सील कर दिया गया था वो भी उनकी गैर मौजूदगी में. इसी तरह जबलपुर में भी कैबिनेट मंत्री लखन घनघोरिया को बंगला खाली करने का नोटिस थमाया गया था.घनघोरिया इस संबंध में वरिष्ठ अधिकारियो से मिले और बंगला खाली करने का अतिरिक्त समय मांगा था.

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button