तेजस्वी करेंगे अगुवाई, आज कृषि कानून के विरोध में महागठबंधन देगा धरना, माले करेगा चक्का जाम

पटना 
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव ने केंद्र के नए कृषि कानूनों को किसान विरोधी बताते हुए आंदोलन का ऐलान किया है। उनकी अगुवाई में महागठबंधन के नेता आज शनिवार, पांच दिसंबर को गांधी मैदान में गांधी प्रतिमा के समक्ष धरना देंगे।

तेजस्वी यादव ने आरोप जड़ा कि केंद्र के किसान और मजदूर विरोधी फैसलों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी सहभागी हैं। केंद्र सरकार आज जो बातचीत कर रही है, वह कानून बनाने से पहले होनी चाहिए थी। उन्होंने राज्य के सभी किसानों और संगठनों से बिल के खिलाफ सड़कों पर उतरने की अपील की। नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार कृषि क्षेत्र को भी प्राइवेट कंपनियों को देने की साजिश रच दी है। 

नेता प्रतिपक्ष ने सवाल किया कि एमएसपी से कम पर खरीद नहीं होगी यह लिखकर क्यों नहीं दिया जा रहा। आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ताकत और विदेशी फंडिंग के आरोप लगाकर किसानों की आवाज दबाना चाहती है। किसान आंदोलन यदि विदेशी फंडिंग से चल रहा है तो किसानों के साथ सरकार बातचीत क्यों कर रही है। तेजस्वी ने कहा कि बिहार में किसानों की हालत खराब है। धान खरीद को लेकर सरकार झूठ बोल रही है। अब तक धान की खरीद शुरू नहीं हुई है। एनडीए सरकार की परंपरा बन चुकी है कि झूठ बोलो, मजबूती से बोलो, शानदार बोलो और बार-बार बोलो। 

तेजस्वी ने कहा कि कोरोना की आड़ में देश को बर्बाद किया जा रहा है। यह कैसी विडंबना है कि जहाज उड़ रहे हैं लेकिन ट्रेनें बंद हैं। राजद प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने कहा कि बिहार में 1994 से 2006 तक किसानों को उपज का सही मूल्य मिलता था। एमएसपी व्यवस्था लागू थी। रघुवंश बाबू तक केंद्र में मंत्री थे। इसे नीतीश कुमार ने ही खत्म किया। 

किसानों के समर्थन में माले आज करेगा चक्का जाम 
पटना में चल रही भाकपा-माले की केंद्रीय कमिटी की बैठक में दूसरे दिन नये कृषि कानूनों को लेकर चल रहे आंदोलन पर चर्चा हुई।  बैठक में पार्टी के महासचिव कॉ. दीपंकर भट्टाचार्य सहित देश के विभिन्न इलाकों से पार्टी के नेता भाग लिया। बैठक में तय हुआ कि कृषि बिलों की वापसी की मांग पर भाकपा-माले पांच दिसंबर को पूरे बिहार में चक्का जाम करेगा। यह चक्का जाम आंदोलन भाकपा-माले, अखिल भारतीय किसान महासभा व अखिल भारतीय खेत व ग्रामीण मजदूर सभा के संयुक्त बैनर से आयोजित होगा। यदि मांगें पूरी नहीं हुई और सरकार तीनों कानूनों को रद्द नहीं करती, तब अनिश्चितकालीन सत्याग्रह व चक्का जाम होगा। बैठक के बाद राज्य सचिव कुणाल ने बताया कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने, प्रस्तावित बिजली बिल 2020 को वापस लेने की केंद्रीय मांगों के साथ-साथ न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बिहार में धान खरीद की अविलंब गारंटी करने मांग प्रमुख है। 400 प्रति क्विंटल गन्ना खरीद की गारंटी आदि मांगें भी हमारे आंदोलन में प्रमुखता से शामिल होंगी।

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